नई दिल्ली.  देश में निर्दयता और यौन महिला अपराध की मिसालों पर एक मील का पत्थर है 2012 का निर्भया बलात्कार और हत्याकाण्ड. इस साल दिसम्बर में पूरे सात साल हो गए हैं इस जघन्य काण्ड को किन्तु अफ़सोस, निर्भया के अपराधी अभी तक फांसी के फंदे से दूर हैं.


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अब फांसी होगी अगले साल याने 2020 में  


सुप्रीम कोर्ट में निर्भया के दोषी अक्षय कुमार की पुनर्विचार याचिका ठुकराए जाने के बाद मामला पटियाला हाउस कोर्ट में था. यहां भी अब दोषियों के डेथ वारंट पर सुनवाई टाल दी गई है. मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 7 जनवरी रखी गई है. साफ़ ज़ाहिर है कि निर्भया के दोषियों को इस साल फांसी अब नहीं हो पाएगी. अदालत ने डेथ वारंट पर सुनवाई टालते हुए कहा कि दया याचिका के लिए मामले के अपराधियों को नोटिस दिया जाए और उसके खारिज होने के बाद ही डेथ वारंट जारी होगा. 


कोर्ट में रो पड़ीं निर्भया की मां


बेटी के इन्साफ के लिए सात साल से अदालत की चौखट पर खड़ी पीड़िता निर्भया की मां अपने जज़्बातों को काबू में न रख सुकी. अदालत का फैसला सुनते ही वे वहीं फूट-फूट कर रो पड़ीं. वे शायद इस उम्मीद में थीं कि उच्चतम अदालत से अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद आज डेथ वारंट जारी हो जाएगा मगर ऐसा हो न सका.



सरकारी वकील से मांगी गई याचिका की जानकारी 


मामले पर पटियाला हाउस अदालत में न्यायाधीश ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट में डाली गई पुनर्विचार याचिका पर जानकारी पेश करें. इस पर सरकारी वकील ने बताया कि पुनर्विचार याचिका खारिज हो गई है. 


मुकेश को वकील देने का आदेश 


न्यायाधीश ने आज के अपने वक्तव्य में कहा डेथ वारंट तो जारी होना चाहिए, मेरे पास ये मामला एक साल से लंबित है. पर चूंकि दोषियों ने अब तक सारे कानूनी विकल्प उपयोग में नहीं लाये हैं. मुकेश के पास कोई वकील नहीं हैं इसलिए उसे वकील दिया जाए.


प्रिंसिपल ऑफ़ नेचुरल जस्टिस का पालन होगा


न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि अदालत प्रिंसिपल ऑफ नेचुरल जस्टिस का पालन करेगी और दोषियों के वकील की प्रतीक्षा की जायेगी. उन्होंने आगे कहा कि हर दोषी को वकील मिलना चाहिये.


जेल मैनुअल का उल्लंघन नहीं होगा  


जब न्यायाधीश ने निर्भया के माता-पिता के वकील से पूछा कि क्या आप ये चाहते हैं कि हम अभी फांसी की तारीख तय कर दें? इस पर दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि जेल मैनुअल के हिसाब से चलना चाहिए और कोई भी फैसला आनन-फान में नहीं होना चाहिए.