बसपा के 6 विधायकों ने पहले सोनिया गांधी का आशीर्वाद लिया फिर ली पार्टी की सदस्यता
राजस्थान में कुछ समय पहले बसपा का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों पर काफी चर्चाएं हो रही थी. शुक्रवार को आखिरकार उन सभी 6 विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिल कर पार्टी में आधिकारिक रूप से सदस्यता हासिल कर ली.
जयपुर: राजनीति में दलबदलू नेताओं की भूमिका कभी-कभी कितनी बड़ी हो जाती है, वह कर्नाटक में सरकार गिर जाने के उदाहरण से समझा जा सकता है. राजस्थान में पिछले दिनों बसपा के 6 विधायकों ने दल बदल कर कांग्रेस का खेमा पकड़ लिया था. आज सोनिया गांधी से मिलने के बाद उन्होंने आधिकारिक रूप से हाथी का साथ छोड़ पंजे को अपनाया. बहुजन समाजवादी पार्टी के 6 विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद राजस्थान कांग्रेस की सदस्यता हासिल की.
नाराज कार्यकर्ताओं ने गधे पर बिठा कर कराया था मार्च
राजस्थान में 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इसके बाद बसपा के 6 विधायकों ने सितंबर 2019 में पार्टी की सदस्यता छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था. बसपा के कार्यकर्ताओं ने इसके बाद पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की जमकर हजामत की थी. बसपा के राजस्थान प्रभारी और अध्यक्ष को पार्टी कार्यालय के सामने मुंह में कालिख पोता गया. इतना ही नहीं उसके बाद उन्हें गधे पर बिठाकर सड़क पर मार्च कराया गया. बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्षा मायावती ने उल्टे कांग्रेस को ही इसका जिम्मेदार बताया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने के लिए दूसरे दल के विधायकों को तोड़ने की ओछी राजनीति में लग गई है.
राजस्थान में क्या रहा था चुनाव के बाद का समीकरण
वहीं कांग्रेस इस मामले पर मौन थी. बसपा राजस्थान विधानसभा चुनाव में 6 सीटें ही जीत पाई थी और अंत में ये सभी 6 सीटें कांग्रेस की झोली में ही चले गए. स्पष्ट बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह जाने वाली कांग्रेस इस तरह से सरकार भी बना पाई और विधानसभा में अपनी स्थिति भी मजबूत कर पाई. राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं जिनमें से 199 पर चुनाव हुए थे. कांग्रेस को 99 सीटें मिली थी और वे बहुमत से 2 सीट पीछे ही रह गई थी. वहीं भाजपा को 72 सीटों पर जीत मिली थी. बसपा ने 6 सीटों पर कब्जा किया था.
बाद में कांग्रेस को अन्य छोटे दलों का भी समर्थन मिला और वह सरकार बनाने में कामयाब रही.