नई दिल्ली: भारतीय रेलवे में सबसे बड़े प्रशासनिक बदलाव या एडमिनिस्ट्रेटिव रिफार्म को मोदी सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है. जिसके बाद रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन किया जाएगा. 


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कुछ ऐसी होगी नई प्रशासनिक व्यवस्था
मोदी कैबिनेट ने रेलवे मंत्रालय में कैडर मर्जर को मंजूरी दे दी है. इस फैसले के चलते अब रेलवे बोर्ड की रिस्ट्रक्चरिंग होने वाली है. रेलवे बोर्ड की शुरुआत 1905 में हुई थी. फिलहाल रेलवे बोर्ड में एक चेयरमैन के अतिरिक्त 8 बोर्ड सदस्य होते हैं. ये सभी 8 बोर्ड मेंबर अलग अलग स्ट्रीम जैसे मैकेनिकल, टेक्निकल, मैनेजमेन्ट के फील्ड से आते हैं. लेकिन अब कैबिनेट के नए फैसले के मुताबिक रेलवे बोर्ड में चेयरमैन और सीईओ समेत कुल पांच ही मेंबर होंगे. 


रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पुनगर्ठित रेलवे बोर्ड विभागों की जटिलताओं से राहत दिलाएगा, किसी की वरीयता से समझौता नहीं होगा.


नए रेलवे बोर्ड में यातायात, रोलिंग स्टॉक, ट्रैक्शन एंड इंजीनियरिंग के लिए सदस्यों की जगह परिचालन, व्यवसाय विकास, मानव संसाधन, अवसंरचना और वित्त कार्यों के लिए सदस्य लाए होंगे.


रेलवे बोर्ड का नेतृत्व रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष (CRB) करेंगे जो मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) की भूमिका भी निभाएंगे . इसमें चार सदस्यों के अतिरिक्त कुछ स्वतंत्र सदस्य भी शामिल होंगे.



भारतीय रेलवे पर बनी विवेक देबराय समिति ने 2015 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की सिफारिश की थी.


रेलवे की एकीकृत सर्विस बनाई जाएगी
कैबिनेट के मंगलवार के फैसले के मुताबिक रेलवे की सभी 8 सर्विसेज का विलय होकर अब सिर्फ एक सर्विस बनाने का प्रावधान किया गया है. रेलवे की सभी सेवाओं को एकीकृत (merge) करके एक नई सेवा ‘भारतीय रेल सेवा’ बनाने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दी है. भारतीय रेलवे में दो विभाग रेलवे सुरक्षा बल और चिकित्सा सेवा विभाग होंगे.


रेलवे बोर्ड के ढांचे को आधा करने के साथ ही इसके जोनल महाप्रबंधकों को केन्द्र सरकार के सचिव के पद के समकक्ष बनाया गया है. 



रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट के फैसले के बाद एक प्रेस कांफ्रेन्स करके जानकारी दी कि रेलवे में इंजीनियरिंग,मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, लेखा, भंडारण, कार्मिक, यातायात, सिग्नल और टेलीकॉम जैसी सभी 8 सेवाओं को मिलाकर एक सेवा भारतीय रेल प्रबंधन सेवा(IRMS) के गठन की मंजूरी दे दी गई है. यह फैसला 24 दिसंबर 2019 से लागू हो गया है. 


रेल बोर्ड का पुनर्गठन 1905 में किया गया था. पिछले 114 सालों से यही व्यवस्था चली आ रही थी. जिसे एक झटके में बदल दिया गया.