नई दिल्लीः CAA का विरोध किस हद तक जाएगा. इसके रुकने के क्या तरीके और कितने आसार हैं. इनका फिलहाल कोई जवाब नहीं है. मौजूदा दौर में बस इतना सामने है कि अब यह विरोध नासूर बन गया है और आम नागरिकों को आंसू देने लगा है. आलम यह है कि इसने सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाली पुलिस को ही असक्त करने की कोशिश की है. एक पुलिस कर्मी मारा जा चुका है, दो पुलिस अधिकारी अस्पताल में जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. 


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पटपड़गंज मैक्स में भर्ती हैं पुलिस अधिकारी
नागरिकता कानून को लेकर पूर्वोत्तर दिल्ली में सोमवार को जमकर हिंसा हुई. जानकारी मिली है कि इस हिंसा में अब तक एक पुलिसकर्मी समेत 6 लोग मारे गए हैं. हालांकि आंकड़े अभी तक स्पष्ट नहीं हैं. विडंबना है कि अराजक विरोधी तत्वों ने हमलावरों की भूमिका में आकर सीधे पुलिस पर ही हमला कर दिया.



नतीजतन IPS अफसर ACP गोकुलपुरी अनुज कुमार भी पत्थरबाज़ी में घायल हुए हैं. उन्हें मैक्स पटपड़गंज में भर्ती कराया गया है. इसके अलावा डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा गंभीर रूप से घायल हैं. उनकी अभी सर्जरी चल रही है.


उपद्रवियों ने जमकर किया पथराव
डीसीपी-एसीपी समेत 10 पुलिसकर्मी मैक्स अस्पताल में भर्ती हैं. उत्तर-पूर्व जिले में हिंसा के बाद जाफ़राबाद, मौजपुर-बाबरपुर, गोकुलपुरी, जोहरी एन्क्लेव और शिव विहार मेट्रो स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वार बंद हैं. नॉर्थ ईस्ट जिले के प्रभावित इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफराबाद और मौजपुर में लगातार दूसरे दिन जमकर हिंसक उपद्रव हुआ था.



उपद्रवियों ने सोमवार को कई घरों, दुकानों और वाहनों को आग लगा दी. पुलिस पर पथराव किया और गोलियां चलाई गईं. गोकुलपुरी में पथराव में सिर में चोट लगने से हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई, जबकि शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा और गोकुलपुरी एसीपी अनुज कुमार घायल हो गए. 


दिल्ली में आग तो मुंबई तक फैली CAA विरोध की चिंगारी


इन नागरिकों की हुई मौत
जानकारी के अनुसार जाफराबाद निवासी मोहम्मद सुल्तान के पैर में गोली लगने की वजह से मौत हो गई है. पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि गोली सुल्तान के पैर में लगी थी लेकिन अधिक खून बह जाने से उसकी जान चली गई. वहीं प्रदर्शन के दौरान शाहिद अल्वी नाम के एक ऑटो चालक की भी गोली लगने से मौत हो गई है.


शाहिद अल्वी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले के डिबाई क्षेत्र के निवासी थे. हंगामे के दौरान शाहिद के पेट में गोली लग गई. शाहिद की शादी दो महीने पहले ही हुई थी. हिंसा में अन्य मृतकों की अभी पहचान नहीं हो पाई है.