नई दिल्ली: Twitter ने शनिवार सुबह उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू के ट्विटर हैंडल को Unvarrified कर दिया. नतीजा उनका Blue Tick बैज हट गया. मामला उछला, Twitter India की आलोचना हुई. कुछ लोगों ने तर्क दिए कि हैंडल कई दिनों से Active नहीं था इसलिए Blue Tick हट गया. बवाल बढ़ता देख, ट्विटर इंडिया Backfoot पर आ गया. मामले में Update यह है कि उपराष्ट्रपति के ट्वविटर हैंडल पर दोबारा Blue Tick दिखने लगा है. बाकी अन्य नेताओं के भी Blue Tick बहाल हो गए हैं. 


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Twitter की कार्रवाई विचारधारा से प्रेरित


इसी तरह RSS प्रमुख मोहन भागवत और अन्य कई RSS से जुड़े नेताओं के ट्विटर हैंडल से Blue Tick बैज हटाया गया है. यहां पर यह जोर देकर बताना जरूरी है, RSS से जुड़े या भाजपा के नेताओं के हैंडिल पर कार्रवाई की गई थी. ऐसा क्यों किया गया? इस सवाल के जवाब में एकतरफा अतिवादी नफरती मानसिकता की आशंका लग रही है. अगर इसे जाने भी दें तो भी इस बात को यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता है कि इस मानसिकता की जद में एक संवैधानिक पद आ गया है. 


Twitter के पुराने कारनामों पर एक नजर


सवाल है कि क्या माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर की भारत के शीर्ष संवैधानिक पद के साथ भी इस तरह की कार्रवाई कर सकता है. भाजपा नेता सुरेश नाखुआ ने ऐसे में ठीक ही सवाल उठाया कि क्या ट्विटर भारत की संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दे रहा है? हालांकि बाद में Twitter ने उपराष्ट्रपति के हैंडल को वैरिफाइड कर ब्लू टिक बैज वापस कर दिया. लेकिन उसकी इस करतूत ने उसके पुराने सारे कारनामे याद दिला दिए हैं, जब-जब उसने भारत की संप्रभुता को चुनौती देते हुए निर्णय लिए हैं. 


जब लेह को बताया चीन का हिस्सा


इस वाकये को याद करते हुए बहुत पीछे नहीं चलते हैं. बीते साल की ही बात है. अक्टूबर 2020 में ट्विटर ने जम्मू कश्मीर के लेह को एक नक्शे में चीन का हिस्सा दिखाया था. इसके बाद सरकार ने ट्विटर को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. भारत सरकार ने तब कहा था कि वह ट्विटर की इस हिमाकत को 'देश की संप्रभु संसद की इच्‍छाशक्ति को नीचा दिखाने के लिए जान-बूझकर की गई कोशिश' के रूप में देख रहा है. 


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तब भी मांग ली थी माफी


Twitter ने समय रहते देश के संसदीय पैनल को लिखित में माफीनामा भेजा था, जिसकी अध्यक्षता BJP सांसद मीनाक्षी लेखी कर रही थीं. उन्होंने अपने माफीनामे में ये भी आश्वासन दिया था कि वे 30 नवंबर तक सब कुछ ठीक कर देंगे.


किसान आंदोलन में फिर की ढिठाई


किसान आंदोलन के दौरान देश के अंदर और बाहर के कई  Twitter हैंडल से भ्रामक और अफवाहपरक बातें फैलाई जा रही थीं. उस दौरान केंद्र सरकार ने Twitter से ऐसे कई अकाउंट को बंद करने को कहा था, जिनसे किसान आंदोलन को लेकर लोगों को गलत और भड़काऊ सूचनाएं दी गईं. सरकार ने आदेश का पालन न होने पर कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी. लेकिन ट्विटर ने सरकार की आधी ही बात मानीं थी. 


तब फिर सरकार ने कसी चूड़ियां


भारत सरकार ने ट्विटर से 1178 हैंडल्स को हटाने को कहा था, लेकिन twitter ने सिर्फ 500 अकाउंट्स तक पर ही कार्रवाई की थी. Twitter ने किसान आंदोलन से जुड़े उन अकाउंट पर ही कार्रवाई की है जो भारत के हैं. भारत के बाहर रहकर किसान आंदोलन के बारे में गलत जानकारी देने वालों पर सरकार की मांग के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई है. उसका यह रवैया भी भारतीय संप्रुभता को चुनौती के तौर पर देखा गया.


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अब IT नियमों से कसेगा शिकंजा


इन सबके बीच Twitter और भारत सरकार के बीच नए IT नियमों को लेकर भी रार जारी है. Blue Tick प्रकरण के बाद केंद्र सरकार ने ट्विटर को फाइनल नोटिस भेज दिया है. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि भारत में करीब एक दशक से अधिक आपरेशन के बावजूद Twitter ने एक ऐसा सिस्टम विकसित करने से इनकार कर दिया है, जिससे भारत के लोगों को उसके प्लेटफॉर्म पर आसानी हो. मंत्रालय ने कहा कि ये नियम हालांकि 26 मई, 2021 से प्रभावी हैं, लेकिन टि्वटर इंक को एक आखिरी नोटिस के जरिये नियमों के पालन का अवसर दिया जा रहा है.


नोटिस के मुताबिक अगर ट्विटर इसका पालन करने में विफल होता है तो फिर उसके खिलाफ आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के तहत उपलब्ध देयता से छूट वापस ले ली जाएगी और ट्विटर पर आईटी अधिनियम और भारत के अन्य दंड कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. 


बार-बार गलती हर बार माफी, ये नहीं चलेगा


एक तरह से यह अब जरूरी भी है, क्योंकि बार-बार इस तरह की गलतियां करने का आदी हो चला Twitter आखिर कब तक माफी मांगेगा और उसे कब तक माफ किया जाता रहेगा. दूसरा यह कि एक संप्रभुता संपन्न देश और उसके संवैधानिक पदों को एक कंपनी बार-बार गलती और माफी की आड़ में चुनौती दे, लंबे समय तक ऐसा होना दुनिया के सामने गलत संदेश देता है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में शुमार देश की संप्रभुता खतरे में है.


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