नई दिल्ली: महाराष्ट्र में पिछले दो दिनों में जिस तरह की राजनीति दिखी है, वो बेहद अफसोसनाक कही जा सकती है. पूरे राज्य में उद्धव ठाकरे के समर्थकों ने इतना उत्पात मचाया, हिंसा की, मारपीट की, पथराव किया और ये सब इस लिए हो रहा था कि नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे को लेकर बदजुबानी की थी.


महाराष्ट्र की सियासत का दोहरा चरित्र


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नारायण राणे को तो खाने की टेबल से ही गिरफ्तार भी कर लिया गया है और देर रात उन्हें जमानत भी मिल गई. नारायण राणे ने आगे से ऐसी बदजुबानी नहीं करने का वादा किया है. लेकिन सवाल सिर्फ नारायण राणे का नहीं, बल्कि महाराष्ट्र में शिवसेना छाप सियासत की भी है. क्योंकि नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे के लिए जो कहा वो कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता.


निश्चित तौर पर केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी विवादित है, उसका समर्थन कतई नहीं किया जा सकता. मगर शायद शिवसेना ये भूल जाती है कि जब उसके नेता बदजुबानी करते हैं और अपशब्द कहते हैं तो वो बवाल नहीं काटते. मारने-पीटने की धमकियां देने वाले नेता तो शिवसेना में भी हैं.


किसी और को छोड़िए, खुद सीएम उद्धव ठाकरे ने ही ऐसा विवादित बयान कई दफा दिया है, जिसके चलते वो भी जेल जा सकते थे. राणे जैसी ही टिप्पणी वो भी कभी किया करते थे. पार्टी के कार्यकर्ता उपद्रव करते हैं तो यही शिवसेना उसे अपना स्टाइल मानती है.


आज उसी शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे को एक पुराने शिवसैनिक रहे नारायण राणे ने शिवसेना स्टाइल में जो बात कही, निश्चित तौर पर वो विवादित टिप्पणी थी, तो उस पर पूरे राज्य में शिवसेना ने उपद्रव मचा कर रख दिया.


नारायण राणे के पोस्टर पर कालिख


शिवसैनिकों की नाराजगी हिंसा में तब्दील हो चुकी थी, बीजेपी के दफ्तरों पर हमले हो रहे थे. नारायण राणे के पोस्टर पर कालिख पोती जा रही थी. महाराष्ट्र में जगह जगह नारायण राणे के खिलाफ केस दर्ज हो चुका था. नारायण राणे ने इतना संगीन गुनाह कर दिया था महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें रोटी तक खाने नहीं दिया. खाने के टेबल से गिरफ़्तार करके नारायण राणे थाने ले जाए गए.


देर रात अदालत में पेशी हुई तो कहीं जाकर नारायण राणे को जमानत मिल सकी, लेकिन ये पूरा हंगामा क्यों हुआ. नारायण राणे ने ऐसा क्या कह दिया था कि शिवसैनिक महाराष्ट्र पूरे राज्य को फूंकने पर उतारू हो गए थे. नारायण राणे के उस बयान के बारे में जानिए.


राणे ने कहा था कि 'उस दिन नहीं पूछ रहा था कि कितने साल हो गए देश को आजाद हुए? अरे हीरक महोत्सव है क्या? मैं होता तो कान #$%&*&^%$#@, ये क्या? देश का स्वतंत्रता दिवस है और इसे मालूम नहीं!'


बिना नाम लिए किया था राणे ने 'वार'


नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे का नाम लिये बिना भी जो कुछ कहा उसका समर्थन किसी ने नहीं किया, क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में संवैधानिक पद की गरिमा धूमिल नहीं की जा सकती. लेकिन जब शिवसेना ने ऐसी बदजुबानी पर एक अंगुली उठाई तो चार अंगुलियां शिवसेना पर उठ गईं.


नारायण राणे अपने बचाव में महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुराने बयानों का हवाला देते हैं. हालांकि तब उद्धव ठाकरे सीएम नहीं थे, लेकिन तब उद्धव ने जो कहा था वो भी एक बार जानिए..


उद्धव ने भी की थी ऐसी बदजुबानी


उस वक्त के शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने 18 सितंबर 2019 को कहा था कि एक आदमी (सावरकर) ने पूरी जिंदगी लगा दी, ऐसा बड़ा काम किया है पूरा जीवन. नीलम ताई ने मुझे मणि शंकर अय्यर के बारे में बताया, मैंने कहा कि #$%^&@ चाहिए. आज दिखा तो आज जरूर से #$%^&@ चाहिए.


जाहिर है कि उद्धव ठाकरे का ये बयान माननीय मुख्यमंत्री बनने से पहले का है, क्योंकि अब तो वो राहुल गांधी को #$%^&@ की कल्पना भी नहीं कर सकते. ये 2019 के लोकसभा प्रचार का वक्त था जब उद्धव ठाकरे राहुल को भी #$%^&@ का ऐलान करते थे.


उद्धव ठाकरे ने तो उस वक्त ये भी कहा था कि लोकसभा प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने परकुटा यानी भागने वाला बोला. तभी मैं अकेला था जिसने बोला कि राहुल गांधी #$%^&@ है और उसे भी #$%^&@ चाहिए.


राणे के समर्थकों ने भी की हद पार


अब जिस शिवसेना का मालिक ही #$%^&@ की भाषा में भरोसा रखता हो, तो राणे के समर्थक भी कहते हैं कि राणे ने ठाकरे भाषा में उद्धव को जवाब दिया है. बीजेपी नेता प्रमोद जठार ने बोला है कि 'जिसको जो करना है करे, राणे साहब ने ठाकरे भाषा में उत्तर दिया है.'


नारायण राणे ने अदालत में कहा है कि अब वो ऐसी भाषा नहीं दुहराएंगे. चाहे भले शिवसेना के नेता अपने विरोधियों के लिए #$%^&@ मारने की बातें करते रहें. मगर यहां सियासत के दोहरे चरित्र को समझना जरूरी है. 


राजनीति और बदजुबानी का नाता काफी गहरा है. उसी की बानगी भर है महाराष्ट्र की सियासत... उद्धव ठाकरे और शिवसेना विवादित बोली के मामले में काफी सुर्खियों में रही है. अब खुद पर आई बात तो क्यों मिर्ची लगी?


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