उद्धव ठाकरे को आया गुस्सा, बागियों को दे दी सबक सिखाने की `धमकी`!
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट पर गंभीर आरोप लगाया है और साथ ही ये कहा है कि बागियों को पार्टी कार्यकर्ता सबक सिखाएंगे.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बुधवार को कहा कि चुनाव आयोग के 'शिवसेना' के नाम और 'धनुष और बाण' के चुनाव चिन्ह पर रोक लगाने के कदम ने उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है और वे बागियों को सबक सिखाएंगे.
शिवसेना के नाम बदलने से नाराज हुए उद्धव?
निर्वाचन आयोग ने सोमवार को शिवसेना के ठाकरे धड़े को मशाल चुनाव चिन्ह आवंटित किया था. शिवसेना में विवाद को लेकर अपने आदेश में निर्वाचन आयोग ने ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े को 'शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे' नाम दिया था जबकि पार्टी के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को 'बालासाहेबंची शिव सेना' नाम दिया गया था.
शिंदे के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने के बाद इस साल जून में प्रदेश में महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी. बाद में भाजपा के समर्थन से शिंदे मुख्यमंत्री बने थे. पड़ोसी रायगढ़ जिले के उरण से बुधवार को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि उनका संगठन उसे नष्ट करने के सभी प्रयासों का मुकाबला करेगा तथा ज्यादा मजबूत होकर उभरेगा.
'हम अपने विरोधियों को करारा सबक सिखाएंगे'
उन्होंने कहा, 'हम अपने विरोधियों को करारा सबक सिखाएंगे. हमारा खौलता खून यह सुनिश्चित करेगा कि हमारे विरोधियों को सबक सिखाया जाए.' ठाकरे ने कहा कि निकट भविष्य में शिवसेना की 'लहर' होगी और 'हमारी पार्टी से एक मुख्यमंत्री होगा'.
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे अपने नए चुनाव चिन्ह 'मशाल' के बारे में हर घर में जागरूकता सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा, 'हमें ग्राम पंचायत से लोकसभा तक चुनावों के लिये तैयारी करनी है.'
चुनाव आयोग ने तीन नवंबर को मुंबई में अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले दोनों गुटों को 'शिवसेना' और उसके चुनाव चिन्ह 'धनुष और बाण' का इस्तेमाल करने से रोक दिया था ताकि प्रतिद्वंद्वी समूहों को एक समान स्थिति में रखा जा सके और उनके अधिकारों और हितों की रक्षा की जा सके.
शिंदे गुट की ओर से चुनाव लड़ने का दबाव
उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना के गुट ने बुधवार को आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे गुट उनकी उम्मीदवार ऋतुजा लटके पर उनके चुनाव चिन्ह से अंधेरी ईस्ट सीट पर होने वाला उपचुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है. सीट पर तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं. ऋतुजा के पति व शिवसेना के दिवंगत विधायक रमेश लटके की मृत्यु के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है.
जून में शिवसेना में हुए दो फाड़ के बाद यह ना सिर्फ पहला चुनाव है बल्कि शिवसेना के ठाकरे तथा शिंदे नीत गुटों के लिए शक्तिप्रदर्शन का पहला सार्वजनिक मौका भी है. गौरतलब है कि 29 जून को ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (कांग्रेस-शिवसेना-राकांपा गठबंधन) गिरने के बाद भाजपा की मदद से एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेन्द्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में 30 जून को शपथ ली.
सीएम शिंदे से नहीं हुई ऋतुजा की मुलाकात
ऋतुजा ने बुधवार को कहा कि उनकी मुख्यमंत्री शिंदे से मुलाकात नहीं हुई है और कहा कि वह उद्धव ठाकरे गुट के चुनाव चिन्ह 'मशाल' पर ही चुनाव लड़ेंगी. यहां, पत्रकारों से बातचीत में महाराष्ट्र के पूर्वमंत्री व ठाकरे गुट के नेता अनिल परब ने दावा किया कि बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के 'के वार्ड' से प्रशासनिक अधिकारी के पद से ऋतुजा का इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा रहा है ताकि उनपर शिंदे गुट के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का दबाव बनाया जा सके.
पार्टी के एक नेता ने पहले कहा था कि अगर ऋतुजा का इस्तीफा दो दिनों में स्वीकार नहीं होता है तो वह 14 अक्टूबर तक चुनाव के लिए पर्चा नहीं भर सकेंगी. परब ने कहा कि ऋतुजा इस मामले में उच्च न्यायालय गयी हैं और विश्वास जताया है कि वह शिवसेना के ठाकरे नीत गुट की वफादार बनी रहेंगी.
उन्होंने कहा, 'अंधेरी ईस्ट सीट शिवसेना का है. हम चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. अगर ऋतुजा लटके चुनाव लड़ने में असफल रहती हैं तो आपको हमारी आगे की कार्रवाई का पता चलेगा.' परब ने यह भी कहा कि ऋतुजा चुनाव मैदान से बाहर रहने या शिंदे गुट की ओर से चुनाव लड़ने के लिए बनाए जा रहे दबाव के आगे नहीं झुकेंगी.
'ऋतुजा ने दो सितंबर को इस्तीफा दे दिया था'
उन्होंने कहा कि बीएमसी के आयुक्त आई. एस. चहल ऋतुजा का इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने की कोई वजह नहीं बता रहे हैं. परब ने कहा कि ऋतुजा ने दो सितंबर को इस्तीफा दे दिया था और हाल में उन्हें बताया गया कि उनका त्यागपत्र उचित प्रारूप में नहीं था.
उन्होंने बताया, जिसके बाद उन्होंने फिर से इस्तीफा दिया जिसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. पत्रकारों ने जब ऋतुजा से पूछा कि क्या उनपर दबाव है, उन्होंने पलटकर सवाल किया, 'क्या आपको ऐसा लगता है?' उन्होंने भरोसा जताया कि बीएमसी उनका इस्तीफा जल्दी स्वीकार कर लेगा.
बीएमसी आयुक्त कार्यालय के बाहर ऋतुजा ने पत्रकारों से कहा, 'मेरे दिवंगत पति की तरह मेरी वफादारी भी उद्धव ठाकरे के प्रति है.' उपचुनाव में कांग्रेस और राकांपा शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट का समर्थन कर रहे हैं. हालांकि, भाजपा द्वारा मुर्जी पटेल को चुनाव मैदान में उतारे जाने की उम्मीद है.
इसे भी पढ़ें- मृतक के सहपाठियों को बेहतर जॉब मिलने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया 6 गुना मुआवजा
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.