दिल्ली हाईकोर्ट में 5जी पर चल रही थी जूही चावला की याचिका पर सुनवाई, प्रशंसक गाने लगा लाल-लाल होठों पर गोरी किसका नाम है..गीत
अभिनेत्री जूही चावला की 5जी वायरलेस नेटवर्क की स्थापना के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट की वर्चुअल सुनवाई के दौरान एक अजीबोगरीब घटना देखने को मिली.
नई दिल्ली: अभिनेत्री जूही चावला की 5जी वायरलेस नेटवर्क की स्थापना के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट की वर्चुअल सुनवाई के दौरान एक अजीबोगरीब घटना देखने को मिली. दरअसल, सुनवाई के दौरान एक असामान्य घटनाक्रम में दिल्ली हाईकोर्ट की एक पीठ को उस समय अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा, जब एक गुमनाम शख्स, जिसे बॉलीवुड अदाकारा जूही चावला के प्रशंसक (फैन) के तौर पर देखा जा रहा है, बॉलीवुड गाने गुनगुनाने लगा.
गुमनाम विजिटर लगातार पूछता रहा कि जूही मैम कहां है. मैं जूही मैम को नहीं देख पा रहा हूं. जूही चावला जैसे ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुईं और नजर आने लगीं तो उक्त व्यक्ति ने बॉलीवुड का गीत गाना शुरू कर दिया. इस घटनाक्रम के बाद मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश जे. आर. मिधा ने कोर्ट स्टाफ से संबंधित व्यक्ति की आवाज को म्यूट करने को कहा.
इस मौके पर, चावला का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा, मैं आशा करता हूं कि ये प्रतिवादियों की ओर से ध्यान भंग करने की कोशिश नहीं है. हालांकि, विजिटर यहीं पर नहीं रुका और वह लगातार गाने गाता रहा, जिससे पीठ को कोर्ट मास्टर को मीटिंग लॉक करने के लिए कहने के लिए मजबूर होना पड़ा. मामले में सुनवाई चलती रही, लेकिन कुछ देर बाद वह शख्स फिर बीच में आ गया. सुनवाई के दौरान यह घटना तीन बार हुई. अदालत की अवमानना की कार्रवाई का निर्देश देते हुए न्यायमूर्ति मिधा ने कहा, कृपया इसकी पहचान करें और अवमानना नोटिस जारी करें. दिल्ली पुलिस आईटी विभाग से संपर्क करें.
हम नोटिस जारी करेंगे. मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ये भी सवाल किया कि जूही पहले सरकार के पास क्यों नहीं गईं, सीधा कोर्ट ही क्यों चली आईं. अदालत ने जोर देकर कहा कि वादी चावला और अन्य दो को अदालत का दरवाजा खटखटाने से पहले सरकार के पास जाना चाहिए था. कोर्ट ने मामले में दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
चावला, वीरेश मलिक और टीना वाचानी द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि 5जी वायरलेस तकनीक मनुष्यों पर अपरिवर्तनीय और गंभीर प्रभाव डाल सकती है. उन्होंने रेडिएशन फैलने के खतरे को देखते हुए कहा है कि इससे पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र को स्थायी रूप से नुकसान पहुंच सकता है. याचिका में कहा गया है कि आरएफ विकिरण का स्तर मौजूदा स्तरों से 10 गुना से 100 गुना अधिक है.
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