CBI Summons to Akhilesh Yadav: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को कथित अवैध खनन मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को समन जारी किया है. CBI ने बतौर गवाह अखिलेश यादव को समन जारी करते हुए कल यानी गुरुवार को पूछताछ के लिए बुलाया है.


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CBI ने पहले इसपर जानकारी देते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 और 2013 के बीच 14 खनन निविदाओं को मंजूरी दी थी, जिनकी जांच एजेंसी द्वारा की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से 2016 के बीच यूपी सरकार द्वारा कुल 22 टेंडर पारित किए गए थे जिनकी जांच की जा रही है. इनमें से 14 बिल 2012 से 2013 के बीच अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान पारित किए गए थे.


CBI ने 2019 में दर्ज किया केस
अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और 2012 से 2013 तक राज्य के खनन मंत्री भी रहे. CBI ने 2012-16 के दौरान अखिलेश यादव सहित राज्य के खनन मंत्रियों की भूमिका की जांच के लिए 2 जनवरी, 2019 को लोक सेवकों और अन्य सहित 11 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.


ED ने भी दर्ज किया केस
बाद में, प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में अखिलेश यादव और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. ED ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की संबंधित धाराओं के तहत उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिनके खिलाफ पहले CBI ने मामला दर्ज किया था.


क्या है अवैध खनन का ये मामला?
यह मामला हमीपुर यूपी) का है. 2019 में सीबीआई के एक बयान में कहा गया, 'CBI ने तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट (एक IAS अधिकारी), हमीरपुर (उत्तर प्रदेश) के खिलाफ मामला दर्ज किया था. तत्कालीन भूविज्ञानी/खनन अधिकारी, तत्कालीन खनन क्लर्क (हमीरपुर), पट्टा धारकों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों सहित आठ केस और दर्ज किए गए थे.' बताया गया कि पहले माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के आदेश दिनांक 28.07.2016 पर जनहित याचिका के तहत जिला हमीपुर में गौण खनिजों के कथित अवैध खनन के पहलू पर एक जांच शुरू की गई थी.


क्या लगे थे आरोप?
यह आरोप सामने आए थे कि लोक सेवकों ने अन्य आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश में 2012-2016 की अवधि के दौरान जिला हमीरपुर (यूपी) में लघु खनिजों के अवैध खनन की अनुमति दी थी.


CBI द्वारा आरोप लगाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से रेत के खनन के लिए नए पट्टे दिए, मौजूदा पट्टों का नवीनीकरण किया, जिससे सरकारी खजाने को गलत नुकसान पहुंचाया गया और खुद को अनुचित लाभ पहुंचाया.


यह भी आरोप लगाया गया था कि अन्य व्यक्तियों को गौण खनिजों का अवैध उत्खनन करने, गौण खनिजों की चोरी करने और पट्टा धारकों के साथ-साथ गौण खनिजों का परिवहन करने वाले वाहनों के चालकों से धन उगाही करने की अनुमति दी गई थी.


05.01.2019 को उत्तर प्रदेश के हमीरपुर, जालौन, नोएडा, कानपुर और लखनऊ जिलों और दिल्ली में 12 स्थानों पर भी तलाशी ली गई थी. तलाशी के दौरान अवैध रेत खनन से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री, भारी नकदी और सोना बरामद किया गया था.


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