नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से देश में कुत्तों द्वारा हमले किए जाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इन घटनाओं में लखनऊ में एक पालतू पिटबुल द्वारा अपनी मालकिन को काटने के बाद मौत होने के मामले ने खासी चर्चा बटोरी थी. इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुत्तों द्वारा हमला किए जाने की कई और घटनाएं सामने आई हैं. 


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कुत्तों से बचने को नगर निगम से सहायता मांग रहे लोग


उत्तर प्रदेश की राजधानी में पालतू कुत्तों के हमले की खबर जैसे-जैसे सामने आ रही है, लोग घबराने लगे हैं. नतीजा यह है कि लोग नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क कर पालतू पिटबुल को छोड़ने की बात कह रहे हैं. एक अधिकारी ने कहा, "हमले की घटनाओं के बाद लोग अब पिटबुल रखने से डर रहे हैं, खासकर वे लोग, जिनके घर में बच्चे हैं. लेकिन समस्या यह है कि हमारे पास इतने सारे पिटबुल की देखभाल करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है."


पिटबुल पालने से घबरा रहे लोग


लखनऊ में रहने वाले एक व्यक्ति हरीश चंद्र तिवारी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वे अपने तीन साल के पिटबुल डॉगी से काफी प्यार करते थे, लेकिन अब वे इसे पालने में घबरा रहे हैं. उन्होंने कहा, "मेरे दो पोते-पोतियां हैं, जो कुत्ते के साथ खेलते हैं. आपको नहीं पता होता कि पिटबुल कब हिंसक हो जाएं. पिटबुल द्वारा हमले किए जाने के मामले अलग-अलग जगहों से सामने आ रहे हैं. मैंने ऐसे लोगों से बात की है जो कुत्ते को गोद लेने के इच्छुक हो सकते हैं, लेकिन कोई भी तैयार नहीं है. मैं चाहता हूं कि मेरे कुत्ते की देखभाल की जाए और मैं उसे सड़कों पर नहीं छोड़ सकता."


गोद भी नहीं लेना चाह रहे लोग


नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा कि जब एक पिटबुल ने जुलाई में अपने 82 वर्षीय मालिक को मौत के घाट उतार दिया, तो आठ से अधिक लोगों ने कुत्ते को गोद लेने की पेशकश की थी, लेकिन अब सोच बदल गई है. उन्होंने कहा, मेरठ, नोएडा और लखनऊ में हमलों के बाद, लोग अब पिटबुल को गोद लेने से डर रहे हैं. नोएडा में कम से कम पांच से छह पिटबुल को उनके मालिकों ने एक एनजीओ के बाहर छोड़ दिया.


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