नई दिल्ली: चारधामों में से एक बदरीनाध धाम के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे. कपाटबंदी से पहले होने वाली पूजा 16 नवंबर से शुरू होगी, जो पांच दिनों तक चलेगी.


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मंगलवार को होगी गणेश पूजा
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने बताया कि मंगलवार से भगवान बदरीविशाल की पंच पूजाएं शुरू हो रही हैं. 16 नवंबर को गणेश पूजा के बाद गणेश मंदिर के कपाट बंद होंगे. 17 नवंबर को श्री आदिकेदारेश्वर के कपाट बंद हो जाएंगे. 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन होगा. इस दिन से वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो जाएगा. देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि 19 नवंबर को मां लक्ष्मी पूजा और आह्वान होगा. 20 नवंबर को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे.


कपाट बंद होने के बाद 21 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी रावल जी सहित उद्धव जी, कुबेर जी योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेंगे. श्री उद्धव व श्री कुबेर योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान हो जायेंगे. 22 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व रावल जी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेंगे. योग बदरी पांडुकेश्वर व श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी.


6 नवंबर को बंद हुए थे केदारनाथ धाम के कपाट
इससे पहले केदारनाथ धाम के कपाट 6 नवंबर को बंद हुए थे. 8 नवंबर को पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में स्थापित होते ही भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो गई हैं. कपाट बंद होने के बाद परंपरागत रूप गंगोत्री धाम की शीतकालीन पूजाएं गद्दीस्थल मुखबा (मुखीमठ) और श्री यमुना की शीतकालीन पूजाएं खरसाली (खुशीमठ) में हो रही हैं.


छह माह तक होती है शीतकालीन पूजा
केदारनाथ धाम सहित गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट 22 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे, 25 नवंबर को मेला आयोजित होगा. बता दें कि उत्तराखंड चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री में कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दी स्थलों में छह माह शीतकालीन पूजाएं होती हैं. अभी तक 4 लाख 85 हजार से अधिक तीर्थयात्री उत्तराखंड चारधाम दर्शन को पहुंच गए हैं.


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