पतंजलि योगपीठ के नाम पर किसने की ठगी? आरोपी को पुलिस ने दबोचा
देश की राजधानी दिल्ली से पुलिस ने एक ठग को धर दबोचा है. पतंजलि योगपीठ के नाम पर लोगों से ठगी करने वाला वेब डिजाइनर गिरफ्तार हो गया है. आपको इस रिपोर्ट में पूरा मामला समझाते हैं.
नई दिल्ली: पतंजलि योगपीठ के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाने और लोगों को ठगने के आरोप में 38 वर्षीय एक वेब डिजाइनर को गिरफ्तार किया गया है. एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. आरोपी की पहचान दिल्ली के लक्ष्मी नगर निवासी राहुल कुमार के रूप में हुई है. पुलिस के मुताबिक, द्वारका साइबर थाने में एक शिकायत मिली थी, जिसमें पीड़ित ने आरोप लगाया कि वह इंटरनेट पर अपनी पत्नी का इलाज ढूंढ रहा था और वहां उसे एक मोबाइल नंबर मिला.
38 वर्षीय एक वेब डिजाइनर गिरफ्तार
इसके बाद, उन्होंने उस नंबर पर संपर्क किया और एक डॉ सचिन अग्रवाल ने उन्हें बैंक खाते में 50,000 रुपये जमा करने के लिए कहा. हालांकि, उसके बाद शिकायतकर्ता उस नंबर पर दोबारा संपर्क नहीं कर सका.
द्वारका के डीसीपी एम हर्षवर्धन ने कहा कि शिकायतकर्ता ने फिर से गूगल पर नंबर खोजा और एक अन्य मोबाइल नंबर मिला, जिस पर कॉल करने पर कथित व्यक्ति ने दूसरे बैंक खाते में 45,600 रुपये जमा करने के लिए कहा. जब शिकायतकर्ता ने फिर से उससे संपर्क किया, तो उसने फिर से शिकायतकर्ता से 56,800 रुपये की मांग की, लेकिन इस बार उसने भुगतान नहीं किया.
लक्ष्मी नगर इलाके से राहुल हुआ गिरफ्तार
जांच के दौरान, लाभार्थी के बैंक खाते का विवरण प्राप्त किया गया और कथित नंबर के कॉल डिटेल रिकॉर्ड प्राप्त किए गए और उनका विश्लेषण किया गया. टीम ने 21 मार्च को तकनीकी विश्लेषण और निगरानी के आधार पर आरोपी राहुल के घर पर छापा मारा और उसे लक्ष्मी नगर इलाके से गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ के दौरान, राहुल ने कबूल किया कि वह नकली वेबसाइट डिजाइनिंग का काम कर रहा था. राहुल ने कहा कि वह सह-आरोपी सुमित के साथ कुछ सेवा के नाम पर लोगों को ठगता था जो कभी डिलीवर नहीं होती थी.
अधिकारी ने कहा कि राहुल पतंजलि जैसी अन्य प्रमुख कंपनियों के नाम से फर्जी वेबसाइट डिजाइन करता था, और वहां नंबर डालता था, जो सह-आरोपी सुमित द्वारा प्रदान किया जाता था. बिहार के राजगीर का निवासी सुमित सार्वजनिक व्यक्तियों के कॉल भी प्राप्त करता है.
डीसीपी ने कहा, सुमित पीड़ितों को अलग-अलग बैंक खातों में राशि जमा करने के लिए कहता था और फिर दोनों आरोपी धोखाधड़ी की राशि को आपस में बांट लेते थे. वे ज्यादातर पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार के नाम पर धोखाधड़ी करते थे.
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