नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में चल रही हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले SSC घोटाले में पार्थ बनर्जी फंसे तो अब बीरभूम के नेता अनुब्रत मंडल मुश्किलों में हैं. इस बीच शुक्रवार को पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा. तृणमूल उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने यह कहते हुए दीदी को बाय-बाय कह दिया है कि पार्टी की राजनीति सिर्फ बंगाल तक सीमित है. 


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दरअसल, पवन को पार्टी को ज्वाइन किए हुए अभी महज दस महीने ही बीते हैं. उन्होंने नवंबर 2021 में टीएमसी ज्वाइन की थी. पवन वर्मा ने ट्वीट कर रहा है-पार्टी में गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूं. मैं आगे भी संपर्क में बना रहूंगा.  


पार्टी में महत्वपूर्ण पद पर थे पवन वर्मा
वर्मा ने बीते साल नवंबर महीने तब टीएमसी ज्वाइन की थी जब ममता बनर्जी ने दिल्ली की यात्रा की थी. उन्हें पार्टी उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद दिया गया था. उस वक्त कीर्ति आजाद और अशोक तंवर ने भी टीएमसी का दामन थामा था. टीएमसी में रहने के दौरान पवन ने वर्मा पार्टी की नेशनल वर्किंग कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया था. इस साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले मुंबई में ममता बनर्जी की चर्चित बैठक में पवन वर्मा भी शामिल हुए थे. बौद्धिक लोगों की इस बैठक में ममता ने बीजेपी से लड़ाई का आह्वान किया था. 


इस्तीफा देने के बाद द प्रिंट वेबसाइट से बातचीत में पवन वर्मा ने कहा है-तृणमूल एक बंगाल केंद्रित पार्टी है और मैं इसमें अपना कोई रोल नहीं देखता हूं. ये एक व्यक्तिगत निर्णय है और इसके बारे में मैने ममता बनर्जी को जानकारी दे दी है. 


विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके हैं पवन, जेडीयू के जरिए पहुंचे राज्यसभा
राजनीति में आने से पहले पवन वर्मा भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके हैं. भूटान और साइप्रस जैसे देशों में वो भारतीय राजदूत की भूमिका में रह चुके हैं. वो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रह चुके हैं. नागपुर में जन्में वर्मा ने दिल्ली के सैंट स्टिफेंस कॉलेज से पढ़ाई की और बेस्ट सेलिंग किताबें लिखी हैं. 2014 में वो राज्यसभा के जरिए राजनीति के क्षेत्र में दाखिल हुए. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्मा को 2016 में जेडीयू का महासचिव बनाया. वो नीतीश कुमार के सलाहकार भी थे. NRC-CAA के मुद्दे पर नीतीश कुमार के साथ उनके मतभेद हुए और उन्हें 2020 में पार्टी से निकाल दिया गया. 


ममता बनर्जी की महत्वपूर्ण बैठकों का हिस्सा
इसके बाद साल 2021 में पवन वर्मा ने टीएमसी का दामन थामा था. दरअसल 2021  के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अन्य राज्यों में भी टीएमसी का विस्तार करने के प्रयास तेज कर दिए थे. बीजेपी को चुनाव में बुरी तरह हराने के बाद ममता बनर्जी ने अन्य राज्यों में पार्टी के प्रसार के लिए कवायद तेज की थी. तब कई पार्टियों के नेताओं ने टीएमसी का दामन थामा था. 


शुरुआत में चर्चा हुई थी कि ममता बनर्जी यूपी विधानसभा के चुनावी समर में उतर सकती हैं लेकिन पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा. इस चुनाव में टीएमसी ने समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन दिया था. गोवा में टीएमसी ने खूब मेहनत की थी लेकिन वहां पर पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली.


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