कोलकाता. नवरात्रि का त्योहार वैसे तो पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा विशेष रूप में मनाई जाती है. बंगाल में महिलाओं ने मंगलवार को विजयदशमी के अवसर पर देवी दुर्गा को सिंदूर, पान के पत्ते और मिठाई के साथ विदाई दी.


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पश्चिम बंगाल की परंपरा के अनुसार, ज्यादातर लाल और सफेद साड़ी पहने हुईं महिलाओं ने सबसे पहले देवी दुर्गा के चेहरे को पान के पत्ते से ढका, मूर्तियों के माथे सिंदूर लगाया और अंत में मूर्तियों के होठों पर मिठाइयां लगाईं. इसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर खुशी मनाई.


सिंदूर खेला के पीछे की मान्यता
बंगालियों के लिए, दुर्गा केवल एक देवी नहीं हैं, जो बुराई को नष्ट करती हैं. वह घर में एक बेटी की तरह होती हैं, जो दशमी के दिन अपनी ससुराल चली जाती हैं. दुर्गा पूजा के ये चार दिन बेटी के ससुराल से घर आने के अवसर होते हैं. विजयादशमी के दिन माना जाता है कि देवी दुर्गा अपनी ससुराल वापस जा रही हैं, इसलिए अनुष्ठानों के माध्यम से विदाई दी जाती है. 


विसर्जन के लिए विशेष व्यवस्था
इस बीच, कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में 34 विसर्जन घाटों और 40 झीलों और कृत्रिम जलाशयों पर मंगलवार दोपहर से विसर्जन प्रक्रिया शुरू हुई. विसर्जन प्रक्रिया कोलकाता पुलिस, आपदा प्रबंधन विभाग, कोलकाता नगर निगम और नदी यातायात गार्ड द्वारा संयुक्त रूप से व्यापक सुरक्षा घेरे में आयोजित की गई.


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