बंगाल में केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ प्रस्ताव पास, बहस के दौरान शुभेंदु पर भड़कीं ममता!
पश्चिम बंगाल विधानसभा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को राज्य में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा अतिसक्रिय आचरण पर एक प्रस्ताव पारित किया.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को राज्य में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा अतिसक्रिय आचरण पर एक प्रस्ताव 189:64 मतों से पारित किया. पहले प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित किया गया फिर विपक्ष द्वारा मामले में विभाजन पर जोर देने के बाद खुले मत से मतदान हुआ.
इस मामले में चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ तीखा हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य में केंद्रीय एजेंसियों की ओर से ज्यादतियों की जानकारी नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री को शायद पता न हो, यह सब राज्य भाजपा नेताओं का गेम प्लान है. मुझे भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी की गतिविधियों से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन नियम सभी के लिए समान होना चाहिए. यह सही नहीं है कि भाजपा नेता को बख्श दिया जाए.
क्यों भड़कीं ममता बनर्जी
अपने भाषण के बीच में 'तृणमूल कांग्रेस में सभी चोर' होने के नारे लगने लगे. इस पर मुख्यमंत्री उग्र हो गईं. उन्होंने कहा, मैं आपको इसे साबित करने के लिए चुनौती देती हूं. हम आपकी तरह चोर नहीं हैं. आप खुद के एक साफ-सुथरे व्यक्ति होने का दावा करते हैं. लेकिन मुझे पता है कि आपके पास कितने पेट्रोल पंप हैं. मुझे आपके हीरे के कारोबार के बारे में पता है. ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों को आपके आवास पर छापा मारने दें. हम भी वहीं रहेंगे और केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को दिखाएंगे कि आपका खजाना कहां छिपा है.
क्या बोले शुभेंदु अधिकारी
विपक्ष के नेता ने सदन के भीतर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हालांकि, बाद में उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने सदन के पटल पर उन पर व्यक्तिगत हमला किया, वह पश्चिम बंगाल विधानसभा के इतिहास में अकल्पनीय था. स्वर्गीय ज्योति बसु से लेकर बुद्धदेव भट्टाचार्य तक, किसी भी मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विधायी शिष्टाचार के शिष्टाचार और मानदंडों को भूल गई हैं. उन्होंने मुझे धमकी दी है. लेकिन मैं डरा नहीं. पहले, राज्य पुलिस ने मुझे कई बार परेशान करने की कोशिश की थी. लेकिन वे कुछ नहीं कर सके. मुख्यमंत्री के आक्रोश के उन क्षणों को छोड़कर, प्रस्ताव पर बहस की पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही, जिसमें पूरी विपक्षी पीठ ने बिना वाकआउट किए बहस में भाग लिया.
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