नई दिल्लीः भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह कहीं छिपे नहीं हैं, वह आने वाले दिनों में विरोध करने वाले पहलवानों के झूठ का पदार्फाश करेंगे. चूंकि मामला अदालत में है, वह (बृज भूषण) अभी मीडिया से बात नहीं करेंगे. लेकिन वह इन स्टार पहलवानों के सभी झूठों का पदार्फाश करने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं. ये पहलवान जो कुछ भी कह रहे हैं, वह कोरा झूठ है. यह सब कुछ (यौन उत्पीड़न) कभी नहीं हुआ. उनकी समस्या डब्ल्यूएफआई द्वारा भारत के सभी पहलवानों के लिए लागू किए गए कानून थे (सभी के लिए परीक्षण और अन्य नियम). डब्ल्यूएफआई सभी पहलवानों के लिए है न कि केवल सितारों के लिए. वे सिर्फ विषय को यौन उत्पीड़न में बदल दिया. यह कहना है भारतीय कुश्ती महासंघ का.


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जानिए कुश्ती संघ ने क्या कहा
डब्ल्यूएफआई अधिकारी ने जोर दिया, राजनीतिक नेता अब इससे लाभ की तलाश कर रहे हैं. सबसे पहले, पहलवानों ने एक समिति गठित करने की मांग की. फिर उन्होंने कहा कि उनके अपने व्यक्ति (बबिता फोगट) को भी इसमें शामिल होना चाहिए. अब उन्हें अपने ही परिवार के सदस्य पर भरोसा नहीं है. समितियां सबूत रखने के लिए सब कुछ वीडियो पर रिकॉर्ड करती हैं, इसलिए छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. सब कुछ जल्द ही सामने आ जाएगा. पहलवान चिंतित हो रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनका झूठ जल्द ही उजागर हो जाएगा.


जानिए अधिकारी ने क्या कहा
अधिकारी ने कहा कि बजरंग पुनिया कुछ महीने पहले बृजभूषण की तारीफ कर रहे थे और अब वह विरोध कर रहे हैं, जो अजीब है.
अधिकारी ने कहा, जब वे दावा करते हैं कि पिछले बारह वर्षों से उत्पीड़न हो रहा था, तो वे डब्ल्यूएफआई प्रमुख की प्रशंसा क्यों कर रहे थे और इस संबंध में एक शब्द भी नहीं बोले. क्योंकि ऐसा कभी नहीं हुआ.


कहा- इस वजह से हो रहा प्रदर्शन
 डब्ल्यूएफआई द्वारा नियमों में बदलाव से वे वास्तव में नाराज हो गए. अधिकारी ने कहा, डब्ल्यूएफआई से कोई भी महिला पहलवान को धमकी नहीं दे रहा है, हमें यह सब करने की जरूरत नहीं है, हम जानते हैं कि सच्चाई की जीत होगी. इससे पहले, बुधवार को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि पहलवानों की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले कुछ प्रारंभिक जांच की आवश्यकता हो सकती है.


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि कुछ प्रारंभिक जांच की जरूरत हो सकती है लेकिन अगर यह अदालत आदेश देती है तो प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. हता ने कहा कि अधिकारियों को लगता है कि कुछ जांच होनी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि अदालत भी कुछ सामग्री नहीं होने तक कुछ नहीं करना चाहेगी. 


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