नई दिल्ली: What is Kashmir Tigers: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में हथियारों से लैस आतंकवादियों की सेना से मुठभेड़ हुई, इसमें एक अधिकारी समेत 4 जवानों की मौत हो गई. बीते सप्ताह ही कठुआ में 5 सैनिक शहीद हुए थे. हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की संख्या बढ़ गई है. इनमें से ज्यादातर हमलों के लिए कश्मीर टाइगर्स नामक संगठन जिम्मेदार है, जिसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का सपोर्ट मिला हुआ है.


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इसके नाम में नहीं धार्मिक शब्द 
कश्मीर टाइगर्स जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का फ्रंट ऑर्गनाइजेशन बन गया है. जैश के बाकी संगठनों के नाम में अल्लाह टाइगर्स और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे हैं. लेकिन इन्होंने इस संगठन के नाम में कोई धार्मिक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. जैश के बाकी संगठनों का मकसद अपनी धार्मिक छवि पेश करना है, जबकि ये संगठन खुद की पॉलिटिकल इमेज स्थापित करना चाहता है. 


इन बड़े हमलों का जिम्मेदार है कश्मीर टाइगर्स
साल 2019 में धारा-370 हटाए जाने के बाद यह संगठन सक्रिय भूमिका में आया. कश्मीर टाइगर्स पहली बार साल 2021 की जनवरी में चर्चा में आया. तब इस संगठन ने दक्षिण कश्मीर में ग्रेनेड हमला किया था. फिर 2021 में ही श्रीनगर की एक बस पर हमला किया, जिसमें 3 लोग मारे गए और 11 लोग घायल हुए. कठुआ में हुआ हमला भी कश्मीर टाइगर्स द्वारा किया गया था. 12 जून को भी डोडा में सेना के टेंपरेरी ऑपरेशन बेस पर पर हमला हुआ, इस हमले में 5 जवान और एक स्पेशल पुलिस ऑफिसर शहीद हुए थे. इस हमले की जिम्मेदारी भी कश्मीर टाइगर्स ने ली थी.


कश्मीर टाइगर्स के क्या मंसूबे?
कश्मीर टाइगर्स धारा-370 के हटने के बाद सक्रिय हुआ, इससे स्पष्ट है कि ये कश्मीर पर से भारत के नियंत्रण को कमजोर करना चाहता है. इसके लिए ये संगठन न सिर्फ हमले कर रहा है, बल्कि घाटी के युवाओं को भड़का भी रहा है. पॉलिटिकल और सोशल इश्यूज के नाम पर कई युवाओं को बरगलाकर भर्ती किया जा रहा है.


गुरिल्ला रणनीति अपनाता है
इस संगठन की एक खास बात है कि ये गुरिल्ला रणनीति अपनाकर टारगेट करता है. ये घात लगाकर बैठा रहता है और अचानक से हमला करता है. सुरक्षाबल इस संगठन को कमजोर करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं.


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