Moonlighting: क्या होती है `मूनलाइटिंग`? फ्रीलांसिंग से इस तरह है अलग
Moonlighting: आईटी प्रोफेशनल्स के बीच इन दिनों मूनलाइटिंग की खूब चर्चा हो रही है. इतना ही नहीं, मूनलाइटिंग को लेकर उद्योग जगत में एक नई बहस छिड़ गई है. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर ये मूनलाइटिंग होती क्या है?
नई दिल्ली: Moonlighting: आईटी प्रोफेशनल्स के बीच इन दिनों मूनलाइटिंग की खूब चर्चा हो रही है. इतना ही नहीं, मूनलाइटिंग को लेकर उद्योग जगत में एक नई बहस छिड़ गई है. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर ये मूनलाइटिंग होती क्या है? दरअसल, जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही किसी अन्य कंपनी या प्रोजेक्ट के लिए भी काम करता है तो उसे तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है.
जानिए क्या होती है मूनलाइटिंग?
आईटी प्रोफेशनल्स के बीच ‘मूनलाइटिंग’ के बढ़ते चलन ने उद्योग में एक नई बहस छेड़ दी है. कई लोग बिना कंपनी को जानकारी दिए दूसरी कंपनिया या प्रोजेक्ट के लिए काम करते हैं. बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान देश में मूनलाइटिंग बढ़ी है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उस दौरान सैलरी घटने या नौकरी छूटने के डर से लोग अतिरिक्त आय के लिए हाथ पैर मार रहे थे.
कोरोना काल के दौरान देश में मूनलाइटिंग बढ़ी
कोरोना काल के दौरान मूनलाइटिंग ने भारत का भी रुख किया. वहीं, दूसरी ओर छोटी कंपनियां लागत घटाने के लिए प्रोजेक्ट के आधार पर काम ऑफर कर रही थीं, जिससे मूनलाइटिंग का चलन काफी बढ़ गया. हाल ही में फूड डिलीवरी ऐप स्विगी ने मूनलाइट पॉलिसी का ऐलान किया है. कंपनी ने फुल टाइम काम करने वालों को भी मूनलाइटिंग करने की इजाजत दे दी है. हालांकि, कंपनी ने कहा था कि मूनलाइटिंग ऑफिस के काम के घंटों के बाद की जाए.
फ्रीलांसिंग से किस तरह अलग है मूनलाइटिंग
आपको बता दें कि मूनलाइटिंग पूरी तरह से फ्रीलांसर अलग होता है. फ्रीलांसर किसी कंपनी के नियमित कर्मचारी नहीं होते और कंपनियां उन्हें सिर्फ काम का मेहनताना देती हैं. बता दें कि मूनलाइटिंग की चर्चा हर दिन बढ़ती जा रही है. प्रौद्योगिकी पेशेवरों के बीच 'मूनलाइटिंग' के बढ़ते चलन ने उद्योग में एक नई बहस छेड़ दी है. इस प्रवृत्ति से कई कानूनी सवाल भी पैदा हुए हैं, लेकिन कई लोगों का मानना है कि कर्मचारियों के कार्यस्थल पर लौटने के साथ इससे जु़ड़ी चिंताएं भी कम होंगी.
नियमों को सख्त बना सकती हैं कंपनियां
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बारे में जानकारी सामने आने के बाद नियोक्ता अब सूचनाओं और परिचालन मॉडल की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपायों पर विचार करेंगे. खास तौर पर ऐसे मामलों में जहां कर्मचारी कार्यस्थल से दूर रहकर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि कंपनियां अपने रोजगार अनुबंधों को भी सख्त बना सकती हैं.
पिछले दिनों विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी की तरफ से मूनलाइटिंग का जिक्र किए जाने के बाद इस पर चर्चा बढ़ गई है. रिशद ने इसे नियोक्ता कंपनी के साथ धोखा बताया था.
इन्फोसिस ने दी कड़ी चेतावनी
वहीं, इन्फोसिस कंपनी ने भी अपने कर्मचारियों को भेजे संदेश में कहा है कि दो जगहों पर काम करने या ‘मूनलाइटिंग’ की अनुमति नहीं है. अनुबंध के किसी भी उल्लंघन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी तथा नौकरी से निकाला भी सकता है.
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