Shashi Tharoor or Mallikarjun Kharge, Congress President Election: देश के राजनीतिक गलियारों में इस समय कांग्रेस पार्टी पर सभी की नजरें बनी हुई है जहां पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का चयन होने की प्रक्रिया जारी है. इस प्रक्रिया के तहत फिलहाल नामांकन भरे जा रहे हैं और आज (30 सितंबर) अपना नाम देने का आखिरी दिन भी है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कदम पीछे खींच लेने के बाद अध्यक्ष पद का समीकरण थोड़ा साफ नजर आ रहा था लेकिन नामांकन के आखिरी दिन उस वक्त ट्विस्ट आ गया जब इस रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम की भी एंट्री हो गई.


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दक्षिण भारत से कांग्रेस पद के लिये पार्टी के सीनियर लीडर शशि थरूर ने पहले ही अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन अब उन्हीं के साथी कांग्रेसी नेता और राज्यसभा में विपक्ष  के नेता मलिकार्जुन खड़गे का नाम भी शामिल हो गया है. खड़गे की दावेदारी को भी मजबूत माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने यह फैसला शुक्रवार को सोनिया गांधी से मिलने के बाद लिया है.


कांग्रेस के सबसे बेहतरीन लीडर्स में से एक हैं खड़गे


मलिकार्जुन का नाम कांग्रेस के कद्दावर और सबसे विश्वसनीय लोगो में से एक है, इसके पीछे उनका राजनीतिक रिकॉर्ड है, जिसके अंदर पार्टी ने जब भी उन्हें कोई जिम्मेदारी दी है उन्होंने उसे बखूबी निभाया है फिर साल 2014 में लोकसभा के विपक्षी नेता हो या अभी राज्यसभा के विपक्षी  नेता की बागडोर हो. उन्हें हमेशा गांधी परिवार के साथ किसी भी परिस्थिति में कंधे से कंधा मिलाकर चलते देखा गया है. हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़, एक दलित नेता की छवि, किसी विवाद का हिस्सा न बनने की शैली और पार्टी को साथ लेने का हुनर उन्हें एक बेहतरीन नेता बनाता है.


गरीब बैकग्राउंड से आये पर सत्ता के गलियारे में छाए


मल्लिकार्जुन खड़गे की बात करें वो गरीब परिवार से आते हैं. उन्होंने अपने गांव से ही पढ़ाई की शुरुआत की और फिर पढ़ाई पूरी करने के लिये शहर पहुंचे. शहर पहुंचकर उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की और इसी दौरान उन्होंने छात्रसंघ नेता के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाकर राजनीतिक करियर की शुरुआत की. वकालत पूरी करने के बाद खड़गे ने प्रैक्टिस जरूर की लेकिन इस दौरान वो सक्रिय रूप से मजदूरों के हक को लेकर आंदोलनों से जुड़ गये. इस दौरान उन्होंने मजदूरों की ओर से कई केस लड़े और जीते भी, शायद यही वजह थी कि जब मनमोहन सरकार थी तो उन्हें श्रम मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था. 


राजनीतिक करियर रहा है दमदार


कर्नाटक में मल्लिकार्जुन खड़गे का एक लंबा राजनीतिक करियर रहा है जहां पर वो 9 बार विधायक और दो बार लोकसभा सदस्य के रूप में जीते. कांग्रेस पार्टी में खड़गे का कद किसी पहचान का मोहताज नहीं है लेकिन इसके बावजूद वो आम जीवन में बिल्कुल शांत और सरल नजर आते हैं. वहीं जब भाषण देने के लिये माइक पकड़ते हैं तो बाकी नेताओं से काफी अलग नजर आते हैं. पढ़ाई जीवन में मल्लिकार्जुन खड़गे एक बेहद ही औसत छात्र रहे थे लेकिन खेल में उनकी काफी रूचि थी और इसीलिये वो कबड्डी, फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों में हिस्सा लेते हुए नजर आते थे.


जानें निजी जीवन की खास बातें


खड़गे की बात करें तो वो भगवान बुद्ध को अपना आदर्श मानते हैं और उन्हीं के आदर्शों को अपनाते हैं. यही वजह है कि वो अपने वादे के पक्के है और अपनी बात से कभी मुकरते नजर नहीं आते हैं. ऐसा माहौल राजनीतिक परिवेश में बहुत कम ही देखने को मिलता है. मल्लिकार्जुन खड़गे का पूरा नाम मपन्ना मल्लिकार्जुन खड़गे है जिनका जन्म 12 जुलाई 1942 को हैदराबाद के बीदर जिले में तब हुआ था जब वो निजाम की रियासत में आता था. फिलहाल ये हिस्सा कर्नाटक में आता है. 


ऐसा करने वाले छठे नेता बन सकते हैं खड़गे


खड़गे के परिवार की बात करे तो उनके परिवार में पत्नी राधाबाई के अलावा तीन बेटियां और दो बेटे हैं. अगर खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष पद को हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं तो ऐसा छठी बार होगा कि गैर गांधी परिवार का नेता अध्यक्ष बना हो और वो भी दक्षिण भारत से ताल्लुक रखता हो. इनसे पहले पी सीतारमैय्या, एस निजलिंगप्पा, नीलम संजीव रेड्डी, के कामराज और पीवी नरसिम्हा राव भी अध्यक्ष रह चुके हैं. जिस तरीके से खड़गे को कांग्रेस के दिग्गज नेताओं, गांधी परिवार का विश्वास और साथ मिल रहा है उसे देखते हुए उनका अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है.


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