देहरादून: अपने गठन के 20 साल में पहाड़ प्रदेश उत्तराखंड अब तक 10 मुख्यमंत्री देख चुका है. शुक्रवार को राज्य में हुए राजनीतिक संकट के बाद अब 11वें सीएम की तलाश की जा रही है. दरअसल तीरथ सिंह रावत ने 111 दिन तक राज्य की कमान संभालने के बाद राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंप दिया है और इसी के साथ उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल का अंत हो गया. 


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अब इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व एक बार फिर उत्तराखंड का सीएम खोज रहा है. मौजूदा सांसदों में से बात करें तो रमेश पोखरियाल निशंक (केंद्रीय मंत्री) का नाम सबसे बड़ा है. फिर आते हैं अनिल बलूनी और अजय टम्टा. हालांकि पिछली बार की तरह गैर विधायक के नामों पर भी चर्चा हो सकता है. वहीं विधायकों में से धन सिंह रावत, सतपाल महाराज और पुष्कर सिंह धामी का नाम भी चर्चा में हैं. 


कौन-कौन हैं सीएम पद की दौड़ में जानते हैं उनकी कुंडली-


धन सिंह रावत 
सीएम पद की रेस में धन सिंह रावत सबसे आगे चल रहे हैं. रावत तीन महीने पहले भी सीएम उम्मीदवार के तौर पर उभरे थे जब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दिया था. धन सिंह रावत सबसे बड़े उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं. धन सिंह रावत त्रिवेंद्र कैबिनेट में उच्च शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में काम कर रहे थे और उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह का करीबी भी माना जाता रहा है.



वे संघ के भी करीबी माने जाते हैं. राज्य में उनकी पहचान एक जमीनी नेता की है.
राज्य में अगले साल चुनाव भी होने हैं. भाजपा इस लिहाज से भी अपना मुख्यमंत्री खोज रही है जो कि चुनावी जीत के लिए मुफीद साबित हो सके. 


सतपाल महाराज
कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के खिलाफ साल 2016 में बगावत का बिगुल फूंककर भाजपा का दामन थामने वाले सतपाल महाराज का नाम भी मुख्यमंत्री के दावेदारों में लिया जा रहा है. कांग्रेस की सरकार को गिराने की जब कोशिश की गई थी तब सतपाल महाराज की पत्नी अमृता विधायक थीं.



हालांकि भाजपा में उनकी पकड़ मजबूत तो हुई है लेकिन कांग्रेस की पृष्ठभूमि उनके लिए सीएम कुर्सी की राह में रोड़ा बन सकती है. हालांकि सतपाल महाराज का नाम भी पिछली बार सीएम पद के दावेदार के लिए उठा था, लेकिन अभी कुछ स्पष्ट तरीके से नहीं कहा जा रहा है. 


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पुष्कर सिंह धामी
इस दौड़ में एक नाम और है जो संभवतः पहली बार सामने आ रहा है. पुष्कर सिंह धामी. ऊधमसिंहनगर जिले की खटीमा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार से विधायक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाने वाले धामी भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष समेत पार्टी में अन्य पदों पर कार्य कर चुके हैं और युवाओं में उनकी पकड़ को बेहतर माना जाता है.



बेरोजगारी के साथ ही विकास के मुद्दों को लेकर वह प्रखर रहे हैं. पुष्कर सिंह धामी को लेकर याद किया जाता है 2002 से 2008 का वह दौर जब उन्होंने पूरे प्रदेश में भ्रमण कर अनेक बेरोजगार युवाओं को संगठित कर विशाल रैलियां की थीं.


तब की सरकार से राज्य के उद्योगों में युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण दिलाने की घोषणा कराना उनकी बड़ उपलब्धि मानी जाती है. अगले साल चुनाव को देखते हुए युवाओं के बीच अच्छी पैठ वाले नेता के तौर पर पहचान के कारण पुष्कर सिंह धामी का नाम भी सीएम पद के लिए आगे चल रहा है. 


रमेश पोखरियाल निशंक
रमेश पोखरियाल निशंक साल 2009 से 2011 तक राज्य की कमान संभाल चुके डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को अनिर्णय की स्थिति में राज्य की कमान दी जा सकती है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उनका कार्य संतोषजनक रहा है ऐसे में आलाकमान उन्हें चुनाव से पहले वापस उत्तराखंड भेजने का निर्णय लेगी ऐसा कम ही लग रहा है. लेकिन पिछली बार की ही तरह निशंक के सीएम बनते ही एक बार फिर पहाड़ बनाम मैदान की जंग शुरू हो जाएगी. जो कि किसी भी सूरत में पार्टी के लिए चुनावी साल में ठीक नहीं होगी.


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