नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार सरकार से सवाल कर रहे हैं. वह विपक्ष के नेता हैं सवाल उठाना उनका अधिकार है. लेकिन उनके सवालों से ऐसा क्यों लग रहा है कि वह देश के गौरव से बेवजह खिलवाड़ कर रहे हैं. 
बेहद तल्ख अंदाज में राहुल गांधी ने देश की सैन्य क्षमता पर उठाए सवाल
राहुल गांधी ने लद्दाख में जारी भारत-चीन सीमा विवाद पर रक्षा मंत्री पर तंज कसते हुए सवाल किया है. राहुल ने ट्विटर पर लिखा कि 'एक बार रक्षा मंत्री का हाथ के निशान पर टिप्पणी करना हो जाए, तो क्या वह जवाब दे सकते हैं कि क्या लद्दाख में चीन ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया?'


इसके पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राहुल गांधी के बीच शायराना अंदाज में ट्विटर पर जंग हो चुकी है.  

दरअसल राहुल गांधी गृहमंत्री अमित शाह को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे थे. जिन्होंने कहा है कि 'पूरी दुनिया यह मानती है कि अमेरिका और इजराइल के बाद अगर कोई देश है जो अपनी सीमाओं की रक्षा करने में समर्थ है तो वो भारत है.'
मात्र सत्ता पक्ष पर हमला नहीं बल्कि देश में भ्रम फैलाना चाहते हैं राहुल
राहुल गांधी के हमलों को देखकर लग रहा होगा कि वह देश में चीनी घुसपैंठ को लेकर सरकार से सवाल जवाब कर रहे हैं. लेकिन राहुल गांधी के ट्विटर संदेशों के लहजे से साफ पता चलता है कि वह देश की जनता को ये संदेश देना चाहते हैं कि भारतीय सीमाओं में चीनी सेना घुस गई है और देश की सुरक्षा खतरे में है. लेकिन ये बात बिल्कुल गलत है.
वैसे तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी को जवाब दिया है कि वह इस बारे में संसद में बयान देंगे. तभी स्पष्ट हो पाएगा कि वास्तविक स्थिति क्या है. लेकिन इसके पहले ही सैटेलाइट तस्वीरों से ये खुलासा हो चुका है कि चीनी फौज भारतीय सीमा से 11 किलोमीटर की दूरी पर अपना कैंप लगाकर बैठी है.


ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट Detresfa ने सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर खुलासा किया था कि चीन की सेना भारतीय सीमा के अंदर घुस ही नहीं पाई. उसके द्वारा जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारत के गोगरा बेस से 11 किमी उत्तरपश्चिम में अपना कैंप लगाकर बैठी है. 
इसके बावजूद राहुल गांधी लगातार देश को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि चीन की सेना भारत की सीमा में घुस चुकी है. इस अनर्गल प्रलाप से देश की प्रतिष्ठा को होने वाले नुकसान की चिंता राहुल गांधी को नहीं है.  
चीन से गलबहियां करके पहले भी अपनी नाक कटा चुके हैं राहुल 
राहुल गांधी चीन के समर्थन में अपरोक्ष कैंपेन ऐसे ही नहीं चला रहे हैं. उनके चीन से बड़े मधुर संबंध हैं. इस बात का सबूत साल 2017 में पूरे देश को मिल चुका है.


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जब भारत और चीन के बीच डोकलाम में विवाद चल रहा था, तब तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 8 जुलाई को आधी रात को अंधेरे में तत्कालीन चीनी राजदूत लुओ झाओहुई(Luo Zhaohui) से मुलाकात की थी. 


कांग्रेस ने इस बारे मे जानकारी छुपाने की कोशिश भी की.  लेकिन बाद में चीनी दूतावास ने अपनी बेवकूफी में खुद ही राहुल गांधी से मुलाकात की बात खोल दी. दूतावास की वेबसाइट पर इस मुलाकात का जिक्र था. बाद में उसे हटा दिया गया था.


नीचे इसका स्क्रीनशॉट दिया हुआ है. जिसे बाद में दूतावास की वेबसाइट से हटा दिया गया था. क्योंकि इस खुलासे से राहुल गांधी को नुकसान हो रहा था.   

चीनियों को लगा कि भारत में विपक्ष का इतना बड़ा नेता चीनी राजदूत से मिलने आया है ये बात सामने आई तो उसका पक्ष मजबूत होगा. इसके बाद राहुल गांधी की चीनी राजदूत से मुलाकात की फोटो भी सामने आ गई. 

इस खुलासे के बाद राहुल गांधी की छीछालेदर होने लगी. जिसके बाद राहुल गांधी खुद ही ट्विट करके खुद इस राज से पर्दा उठाने पर मजबूर हो गए. 

लेकिन आप खुद ही देख सकते हैं कि राहुल गांधी के ट्विट और चीनी राजदूत से उनकी मुलाकात के बीच पूरे ढाई दिनों का फासला है.


चीनी राजदूत के खुलासे के बाद राहुल गांधी को मजबूरी में अपनी मुलाकात के बारे में बताना पड़ा. लेकिन उसके पहले तक पूरी कांग्रेस पार्टी के कर्ता धर्ता पूरी ताकत से चीनी राजदूत से राहुल की मुलाकात की बात को छिपाने में लगे हुए थे. इस बात का सबूत नीचे है. 
 
आखिर राहुल गांधी को चीनी राजदूत से से अपनी मुलाकात की बात छिपा क्यों रहे थे? उन्होंने चीनी राजदूत से मुलाकात के लिए आधी रात का समय क्यों चुना? वह किससे छिप कर मुलाकात करना चाहते थे?


कांग्रेस पार्टी ने इन सवालों का जवाब आज तक नहीं दिया है.   
क्या है राहुल का चीन कनेक्शन?
राहुल गांधी को भारत से ज्यादा चीन के फायदे की चिंता रहती है. ये बात छिपी हुई नहीं है. उधर चीन भी राहुल गांधी से अपना प्यार छिपा नहीं पाता है. इस बात का सबूत इन बातों से भी मिलता है कि 
-  राहुल गांधी जब मानसरोवर यात्रा पर गए थे, तो चीनी दूतावास ने भारतीय विदेश मंत्रालय से आग्रह किया था, कि उन्हें प्रोटोकॉल देते हुए औपचारिक रुप से विदा करने की अनुमति दी जाए.
- भारतीय उद्योगपतियों के साथ हुई एक बैठक में राहुल गांधी ने उन्हें चीन से भी निवेश मंगाए जाने के बारे में सलाह दी थी. 
- राहुल गांधी जब जर्मनी के दौरे पर गए थे, तो उनसे भारतीय उपमहाद्वीप में सत्ता संतुलन के बारे में प्रश्न किया गया, तो उन्होंने भारत को अमेरिका के साथ चीन से भी संबंधों में संतुलन बनाकर रखने की वकालत की थी. 
- साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक के समय तत्कालीन कांग्रेस और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही नहीं बल्कि नाती-पोतों सहित उनके पूरे परिवार को चीन ने विशेष रुप से आमंत्रित किया था.
चीन से भारत की पूरी राष्ट्रवादी जनता नफरत करती है. यही वजह है कि कांग्रेस के युवराज उससे अपनी नजदीकी को छिपाने की कोशिश करते हैं. लेकिन दोनों के बीच प्यार इतना ज्यादा है कि वह छिपाए नहीं छिपता. 


चीन और राहुल गांधी के इन मधुर संबंधों का राज क्या है?????


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