1700 कैदियों ने दिल्ली की जेलों में क्यों किया सरेंडर? जानिए पूरा माजरा
1,700 से अधिक विचाराधीन कैदी व दोषी उच्चतम न्यायालय के आत्मसमर्पण के निर्देश के बाद दिल्ली की जेलों में लौट आए हैं.
नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी के दौरान आपातकालीन जमानत या पैरोल पाने वाले 1,700 से अधिक विचाराधीन कैदी व दोषी उच्चतम न्यायालय के आत्मसमर्पण के निर्देश के बाद दिल्ली की जेलों में लौट आए हैं. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. राजधानी की तीन जेलों- तिहाड़, मंडोली और रोहिणी में 963 कैदी शुक्रवार को वापस लौटे.
जानिए किस जेल में कितने सरेंडर
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तिहाड़ जेल में शुक्रवार को 448 विचाराधीन कैदी और 195 दोषी वापस आ गए.इसी तरह 196 विचाराधीन कैदियों और 63 दोषियों ने मंडोली जेल में आत्मसमर्पण किया. आंकड़ों में बताया गया है कि रोहिणी जेल में शुक्रवार को 52 विचाराधीन कैदी और नौ दोषी वापस आ गए. आंकड़ों के अनुसार कुल 1,245 विचाराधीन कैदी और 523 दोषी शुक्रवार तक जेलों में लौट आए हैं.
इतने कैदियों को किया गया था रिहा
अधिकारियों के मुताबिक, लगभग 3,600 विचाराधीन कैदी और लगभग 600 दोषियों को आपातकालीन जमानत या पैरोल पर रिहा किया गया था. उच्चतम न्यायालय ने 24 मार्च को निर्देश दिया था कि जेलों में भीड़ कम करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान रिहा किए गए सभी दोषियों और विचाराधीन कैदियों को 15 दिन के अंदर आत्मसमर्पण करना होगा.
कोरोना के कारण लिया गया था फैसला
शीर्ष अदालत ने कहा था कि महामारी के दौरान आपातकालीन जमानत पर रिहा किये गये विचाराधीन कैदी अपने आत्मसमर्पण के बाद संबंधित अदालतों के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं. शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुसार गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों पर महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों में कई दोषियों और विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया था.
(इनपुट- भाषा)
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