क्यों मशहूर है ओडिशा का वह मंदिर जहां दर्शन करने पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु की भी पूजा की जाती है. पहले यहां शिव की पूजा कीर्तिवास के नाम से की जाती थी बाद में उन्हें हरिहर नाम से पूजा जाने लगा. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव और विष्णु दोनों ही बसते हैं.
भुवनेश्वर. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने ओडिशा दौरे के दूसरे दिन शनिवार को प्रसिद्ध श्री लिंगराज मंदिर में पूजा-अर्चना की. इस अवसर पर राष्ट्रपति के साथ उनकी बेटी इतिश्री मुर्मू भी मौजूद रहीं। देश की प्रथम नागरिक के दौरे के मद्देनजर 11वीं शताब्दी के मंदिर और उसके आस-पास के क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. द्रौपदी मुर्मू की एक झलक पाने के लिए मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए थे.
श्री लिंगराज मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले मुर्मू ने इसके परिसर में मां भुवनेश्वरी, मां पार्वती और सिद्धि विनायक सहित विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना की. राष्ट्रपति मुर्मू के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर में लिंगराज महाप्रभु को नमन किया. राष्ट्रपति ने भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति माने जाने वाले लिंगराज मंदिर के दर्शन के दौरान लोगों का अभिनंदन भी किया.’
मंदिर में राष्ट्रपति ने बिताए 40 मिनट
उन्होंने श्री लिंगराज मंदिर में लगभग 40 मिनट बिताए. राष्ट्रपति मुर्मू ने आगंतुक पुस्तिका में उड़िया में लिखा कि उन्हें भगवान लिंगराज की पूजा करने के बाद बेहद प्रसन्नता हुई और उन्होंने दुनिया के कल्याण की कामना की. मंदिर में ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. इस मौके पर मंदिर ट्रस्ट ने राष्ट्रपति को भगवान लिंगराज के 'दामोदर वेश' की तस्वीर भेंट की.
भगवान शिव के हृदय में हरि का वास
इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु की भी पूजा की जाती है. पहले यहां शिव की पूजा कीर्तिवास के नाम से की जाती थी बाद में उन्हें हरिहर नाम से पूजा जाने लगा. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव और विष्णु दोनों ही बसते हैं. यहां शिवलिंग के बीच में चांदी के शालीग्राम भगवान स्थित हैं. ऐसा लगता है जैसे भगवान शिव के हृदय में हरि का वास हो.
शिव की पत्नी को कहते हैं भुवनेश्वरी
लिंगराज मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि भुवनेश्वर नगर का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है. भगवान शिव की पत्नी को यहां भुवनेश्वरी कहा जाता है. इस मंदिर को सोमवंशी राजा जजाति केसरी द्वारा बनवाया गया था. मंदिर का निर्माण कलिंग और उड़िया शैली में किया गया है.
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