क्या अयोध्या के बाद अब सुनी जाएगी ज्ञानवापी की पुकार
स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में स्थानीय अदालत में मुकदमा दाखिल किया था. अर्जी में कहा है कि कथित विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है.
नई दिल्लीः बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद के मुकदमें में जल्द ही सुनवाई होने वाली है. इसी के साथ अब अयोध्या मामले के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सुर्खियों में आने वाला है. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1998 में स्टे दिया था. इसके बाद सुनवाई स्थगित हो गई थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट का दो दशक पुराना स्टे खत्म होने से स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के मुकदमे की सुनवाई फिर से वाराणसी की सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्ट ट्रैक कोर्ट) सुधा यादव की कोर्ट में शुरू हो गई है. भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने की अर्जी पर कोर्ट 9 जनवरी को सुनवाई करेगी.
1991 में दाखिल हुआ था मुकदमा
स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में स्थानीय अदालत में मुकदमा दाखिल किया था. भगवान विश्वेश्वर के पक्षकारों की ओर से कहा गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का अंश है.
वहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, राग-भोग, दर्शन आदि के साथ निर्माण, मरम्मत और पुनरोद्धार का अधिकार प्राप्त है. इस मुकदमे में वर्ष 1998 में हाई कोर्ट के स्टे से सुनवाई स्थगित हो गई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में फिर से शुरू हुई है.
एएसआई से सर्वे कराने की मांग
सिविल जज ने मुकदमे की सुनवाई शुरू करते ही दिवंगत वादी पंडित सोमनाथ व्यास और डॉ. रामरंग शर्मा के स्थान पर प्रतिनिधित्व करने के लिए पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्ति किया है. वाद मित्र की ओर से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अर्जी से हलचल तेज हो गई. कोर्ट ने इस अर्जी पर विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्नी वक्फ बोर्ड (लखनऊ) से आपत्ति तलब की है.
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दावा, 15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर था.
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा है कि कथित विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है. मंदिर परिसर के हिस्सों पर मुसलमानों ने आधिपत्य करके मस्जिद बना दिया. 15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था.
इस मामले में केवल एक भवन ही नहीं, बल्कि बड़ा परिसर विवादित है. लंबे इतिहास के दौरान पूरे परिसर में समय-समय पर हुए परिवर्तन के साक्ष्य एकत्रित करने और धार्मिक स्वरूप तय करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वेक्षण कराया जाना जरूरी है. वादमित्र ने भवन की बाहरी और अंदरूनी दीवारों, गुंबदों, तहखाने आदि के सबंध में एएसआई की निरीक्षण रिपोर्ट मंगाने की अपील की है.
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