नई दिल्लीः Hindi Samachar, Hindi Nation News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इसे लेकर न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि इसे अगर मस्जिद कहेंगे तो फिर से विवाद होगा. उन्होंने दोटूक कहा, मुझे लगता है कि भगवान ने जिसे दृष्टि दी है वो देखे न. त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है. हमने तो नहीं रखा न. ज्योतिर्लिंग हैं देव प्रतिमाएं हैं. पूरी दीवारें चिल्ला चिल्ला कर क्या कह रही हैं. और मुझे लगता है कि ये प्रस्ताव मुस्लिम समाज की तरफ से आना चाहिए. कि साहब ऐतिहासिक गलती हुई है, और उस गलती के लिए हम चाहते हैं कि समाधान हो.


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दरअसल योगी आदित्यनाथ से पूछा गया था कि ज्ञानवापी, काशी विश्वनाथ मंदिर इस समस्या का कोई समाधान है? इस पर यूपी के मुख्यमंत्री ने यह बात कही. 


यूपी और पश्चिम बंगाल में चुनावों के बीच तुलना की
उन्होंने यूपी और पश्चिम बंगाल में चुनावों के बीच तुलना करते हुए एएनआई से कहा, 'मैं पिछले सवा छह वर्ष से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं. और 2017 से उत्तर प्रदेश में कोई दंगा तो नहीं हुआ. ये बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग देखें तो कैसे चुनाव होने हैं. नगर निकाय का चुनाव, पंचायत चुनाव, यूपी का विधानसभा चुनाव और पश्चिम बंगाल में भी पंचायत चुनाव हुए थे. क्या हाल हुए थे. वे लोग वेस्ट बंगाल बनाना चाहते हैं देश को. जिस प्रकार से वेस्ट बंगाल में टीएमसी की गवर्नमेंट ने किया था.' 


'कुछ लोग जबरन पूरी व्यवस्था कैद करना चाहते हैं'
उन्होंने कहा, 'कुछ लोग सत्ता में आ करके जबरन पूरी व्यवस्था को कैद कर देना चाहते हैं और जो वेस्ट बंगाल में हमको देखने को मिला, कैसे वहां विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं को मारा गया. ये चीजें आंखों को खोलने वाली हैं. इसपे तो कोई बोलता नहीं. 1990 में जो कुछ हुआ, वो सब पे सब लोग मौन थे. आखिर ये दोहरा दृष्टिकोण क्यों.'


वहीं विपक्ष के गठबंधन इंडिया को लेकर भी उनसे सवाल पूछा गया. इस पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'इंडिया नहीं बोलना चाहिए. ये जो डॉट डॉट डॉट ग्रुप है, चोला बदलने से पिछले कर्मों से मुक्ति नहीं मिल जाएगी. 


 



'देश संविधान से चलेगा. मत और मजहब से नहीं'
इसके अलावा उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, 'देश संविधान से चलेगा. मत और मजहब से नहीं. देखिए मैं ईश्वर का भक्त हूं लेकिन किसी पाखंड में विश्वास नहीं करता हूं. आपका मत, आपका मजहब अपने तरीके से होगा. अपने घर में होगा... नेशन फर्स्ट, अगर देश में किसी को रहना है तो उसको राष्ट्र को सर्वोपरि मानना होगा. अपने मत और मजहब को नहीं.'


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