नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA पर आपके हर सवाल का जवाब मिलेगा यहां
नागरिकता संशोधन कानून पर जबरदस्त हंगामा चल रहा है. लेकिन मुश्किल ये है कि लोगों को पता ही नही है कि आखिर वो विरोध किस बात का कर रहे हैं. आईए आपको बताते हैं नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA पर उठने वाले सवालों के जवाब -
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA की आड़ में विपक्ष राजनीतिक चाल चल रहा है. सरकार विरोधी नेताओं ने आम जनता को भ्रमित करके सड़कों पर उतार दिया है. क्योंकि उन्हें चुनाव में जनता ने नकार दिया था. इसी बात का बदला लेने के लिए वह केन्द्र सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं.
आईए आपको नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA पर उठ रहे हर सवाल का जवाब देते हैं.
पहला सवाल- क्या CAA में ही NRC निहित है?
जवाब: CAA अलग कानून है और NRC एक अलग प्रक्रिया है. CAA संसद से पारित होने के बाद देशभर में लागू हो चुका है, जबकि देश के लिए NRC के नियम व प्रक्रिया तय होने अभी बाकी हैं. असम में जो NRC की प्रक्रिया चल रही है, वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और असम समझौते के तहत की गई है. पूरे देश के लिए NRC की प्रक्रिया असम की तरह ही हो ये जरुरी नहीं है.
दूसरा सवाल- क्या भारतीय मुसलमानों को CAA और NRC से परेशानी होगी?
जवाब: किसी भी धर्म को मानने वाले भारतीय नागरिक को CAA या NRC से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि यह उनसे संबंधित है ही नहीं. यह बाहर से आए घुसपैठियों पर सख्ती दिखाएगा.
तीसरा सवाल- क्या NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही होगा?
जवाब: बिल्कुल नहीं. इसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. यह भारत के सभी नागरिकों के लिए होगा. यह नागरिकों का केवल एक रजिस्टर है, जिसमें देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना होगा.
चौथा सवाल- क्या NRC में धार्मिक आधार पर लोगों को बाहर रखा जाएगा?
जवाब: नहीं, NRC किसी धर्म के बारे में बिल्कुल भी नहीं है. जब NRC लागू किया जाएगा, वह न तो धर्म के आधार पर लागू किया जाएगा और न ही उसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है. ना ही किसी को सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह किसी विशेष धर्म को मानने वाला है.
पाचवां सवाल- क्या NRC के जरिये मुस्लिमों से भारतीय होने का सबूत मांगा जाएगा?
जवाब: सबसे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि राष्ट्रीय स्तर पर NRC जैसी कोई औपचारिक पहल शुरू नहीं हुई है. सरकार ने न तो कोई आधिकारिक घोषणा की है और न ही इसके लिए कोई नियम-कानून बने हैं. भविष्य में अगर ये लागू किया जाता है तो यह नहीं समझना चाहिए कि किसी से उसकी भारतीयता का प्रमाण मांगा जाएगा. NRC को आप एक प्रकार से आधार कार्ड या किसी दूसरे पहचान पत्र जैसी प्रक्रिया से समझ सकते हैं. नागरिकता के रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आपको अपना कोई भी पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज देना होगा, जैसा कि आप आधार कार्ड या मतदाता सूची के लिए देते हैं.
छठा सवाल- नागरिकता कैसे दी जाती है ? क्या यह प्रक्रिया सरकार के हाथ में होगी?
जवाब : नागरिकता नियम 2009 के तहत किसी भी व्यक्ति की नागरिकता तय की जाएगी. ये नियम नागरिकता कानून, 1955 के आधार पर बना है. यह नियम सार्वजनिक रूप से सबके सामने है. किसी भी व्यक्ति के लिए भारत का नागरिक बनने के पांच तरीके हैं.
1. जन्म के आधार पर नागरिकता
2. वंश के आधार पर नागरिकता
3. पंजीकरण के आधार पर नागरिकता
4. देशीयकरण के आधार पर नागरिकता
5. भूमि विस्तार के आधार पर नागरिकता
सातवां सवाल- जब कभी NRC लागू होगा, तो क्या हमें अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए अपने माता-पिता के जन्म का विवरण उपलब्ध कराना पड़ेगा?
जवाब : आपको अपने जन्म का विवरण जैसे जन्म की तारीख, माह, वर्ष और स्थान के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त होगा. अगर आपके पास अपने जन्म का विवरण उपलब्ध नहीं है तो आपको अपने माता-पिता के बारे में यही विवरण उपलब्ध कराना होगा. लेकिन कोई भी दस्तावेज माता-पिता के द्वारा ही प्रस्तुत करने की अनिवार्यता बिल्कुल नहीं होगी. जन्म की तारीख और जन्मस्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज जमाकर नागरिकता साबित की जा सकती है. हालांकि अभी तक ऐसे स्वीकार्य दस्तावेजों को लेकर भी निर्णय होना बाकी है. इसके लिए वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार, लाइसेंस, बीमा के पेपर, जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, जमीन या घर के कागजात या फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी इसी प्रकार के अन्य दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है. इन दस्तावेजों की सूची ज्यादा लंबी होने की संभावना है ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक रूप से परेशानी न उठाना पड़े.
आठवां सवाल- अगर NRC लागू होता है तो क्या मुझे 1971 से पहले की वंशावली को साबित करना होगा?
जवाब: ऐसा नहीं है. 1971 के पहले की वंशावली के लिए आपको किसी प्रकार के पहचान पत्र या माता-पिता / पूर्वजों के जन्म प्रमाण पत्र जैसे किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है. यह केवल असम NRC के लिए मान्य था, वो भी ‘असम समझौता’ और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के आधार पर. देश के बाकी हिस्सों के लिए The Citizenship (Registration of Citizens and Issue of National Identity Cards) Rules, 2003 के तहत NRC की प्रक्रिया पूरी तरह से अलग है.
नवां सवाल- अगर पहचान साबित करना इतना ही आसान है तो फिर असम में 19 लाख लोग कैसे NRC से बाहर हो गए?
जवाब: असम की समस्या को पूरे देश से जोड़ना ठीक नहीं है. क्योंकि वहां घुसपैठ की समस्या लंबे समय से चली आ रही है. इसके विरोध में वहां 6 वर्षों तक आंदोलन चला है. इस घुसपैठ की वजह से राजीव गांधी सरकार को 1985 में एक समझौता करना पड़ा था. इसके तहत घुसपैठियों की पहचान करने के लिए 25 मार्च, 1971 को कट ऑफ डेट माना गया, जो NRC का आधार बना.
दसवां सवाल- क्या NRC के लिए मुश्किल और पुराने दस्तावेज मांगे जाएंगे, जिन्हें जुटा पाना बहुत मुश्किल होगा?
जवाब: पहचान प्रमाणित करने के लिए बहुत सामान्य दस्तावेज की जरूरत होगी. राष्ट्रीय स्तर पर NRC की घोषणा होती है तो उसके लिए सरकार ऐसे नियम और निर्देश तय करेगी जिससे किसी को कोई परेशानी न हो. सरकार की यह मंशा नहीं हो सकती कि वह अपने नागरिकों को परेशान करे या किसी दिक्कत में डाले!
ग्यारहवां सवाल- अगर कोई व्यक्ति पढ़ा-लिखा नहीं है और उसके पास संबंधित दस्तावेज नहीं हैं तो क्या होगा?
जवाब : इस मामले में अधिकारी उस व्यक्ति को गवाह लाने की इजाजत देंगे. साथ ही अन्य सबूतों और Community Verification आदि की भी अनुमति देंगे. एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा.
बारहवां सवाल- भारत में एक बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं, जिनके पास घर नहीं हैं, गरीब हैं और पढ़े-लिखे नहीं हैं, और उनके पास पहचान का कोई आधार भी नहीं है, ऐसे लोगों का क्या होगा?
जवाब: यह सोचना पूरी तरह से सही नहीं है. ऐसे लोग किसी न किसी आधार पर ही वोट डालते हैं और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है. उसी के आधार पर उनकी पहचान स्थापित हो जाएगी.
तेरहवां सवाल- क्या NRC किसी ट्रांसजेंडर, नास्तिक, आदिवासी, दलित, महिला और भूमिहीन लोगों को भी बाहर कर देगा, जिनके पास दस्तावेज नहीं होंगे.
जवाब : नहीं, NRC जब कभी भी लागू किया जाएगा, ऊपर बताए गए किसी भी समूह को प्रभावित नहीं करेगा. विरोधी दल सिर्फ भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. इसीलिए सरकार लगातार लोगों से अपील कर रही है कि अपनी समझ और विवेक के आधार पर किसी तरह की राय कायम करें.