लखनऊः कोरोना की दहशत बरकरार है. इसके साथ ही किसी तरह का इलाज अभी तक असरकारक नहीं साबित हुआ है. हालांकि डॉक्टर पूरी तरह से कोशिश में जुटे हैं. कुछ दिनों पहले प्लाज्मा थैरेपी से इलाज को सफलता के करीब माना जा रहा था.  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में KGMU (किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय)  में पहली बार प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना मरीज का इलाज किया गया था. शनिवार शाम को उनकी मौत हो गई. 


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दो रिपोर्ट आई थीं निगेटिव
किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में पहली बार कोरोना (Coronavirus) संक्रमित व्यक्ति का प्लाज्मा पद्धति से इलाज किया गया था, लेकिन शनिवार शाम को दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई. हालांकि, व्यक्ति की कोरोना संक्रमण की दो रिपोर्ट निगेटिव आई थीं.


प्लाज्मा चढ़ाए जाने वाले रोगी चूंकि बहुत पुराने डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त रोगी थे, इसलिए उन्हें निरंतर चिकित्सकों की निगरानी में आइसोलेटेड वॉर्ड में रखा गया था.


पेशाब की नली में हो गया था संक्रमण
जिनका इलाज किया गया था, वह संक्रमित उरई के चिकित्सक थे और उनको प्लाज्मा देने वाली महिला भी कनाडा की एक चिकित्सक हैं. प्लाज्मा देने वाली महिला पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थीं और केजीएमयू में ही भर्ती थीं. केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने शनिवार को बताया कि 14 दिन बाद मरीज की हालत स्थिर थी.


प्लाज्मा पद्धति देने के बाद उनके फेफड़े की स्थिति में काफी सुधार आया था. बाद में उनके पेशाब की नली में संक्रमण हो गया था.


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मधुमेह के थे रोगी
शनिवार को मृतक की दोनों कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आई थीं लेकिन शाम पांच बजे के करीब उनको दिल का दौरा पड़ा और चिकित्सकों के प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका.  केजीएमयू की डॉ. तूलिका चंद्रा ने शनिवार को बताया, उनकी हालत पहले बहुत खराब थी लेकिन प्लाज्मा पद्धति से इलाज किए जाने के बाद उनके फेफड़ों की स्थिति में काफी सुधार हुआ था. वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप के पुराने रोगी हैं इसलिए अभी उन्हें एहतियातन वेंटीलेटर पर रखा गया था. 


पत्नी भी थीं कोरोना पॉजिटिव
 संक्रमित डॉक्टर के साथ उनकी पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं. उनकी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद शनिवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. 


तो इसलिए यूरोप पहुंच कर कोरोना वायरस और ज्यादा घातक हो गया हैं!!