नई दिल्ली. सरकार को इस पर अवश्य सोचना चाहिए. जब देश में क़ानून नाम की चीज़ मौजूद है तो फतवा नाम के खतरनाक हथियार का इस्तेमाल करने का हक किसी को क्यों मिल जाता है? इस नाचीज़ सवाल का जवाब ये है कि फतवे वाले किसी क़ानून-वानून को नहीं मानते. इस तरह फतवा जारी करना भी कट्टरपंथियों के जिहाद का ही एक हिस्सा है जिसका सारी दुनिया में अक्सर खुल्ले-आम ऐलान होता रहता है.



'गुल मकई' के निर्देशक पर जारी हुआ फतवा 


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तालिबानियों को चुनौती दे कर दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनने वाली बहादुर मलाला यूसुफजई पर बनी इस फिल्म का नाम है गुल मकई. पाकिस्तानी समाज सेविका मलाला से दुनिया भर के कट्टरपंथी चिढ़े बैठे हैं. अब जब मलाला के ऊपर बनी ये फिल्म रिलीज़ होने के लिए तैयार है, इस फिल्म के निर्देशक अमजद खान पर फतवा जारी हो गया है.


नोएडा के मौलवी ने जारी किया आपराधिक फतवा


जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक़ नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर बनी इस फिल्म गुल मकई के निर्देशक अमजद खान पर ये फतवा जारी किया है नोएडा के एक मौलवी ने. अमजद खान पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस फिल्म के पोस्टर के माध्यम से कुरआन का अपमान कर डाला है.



आ रही हैं जान से मार देने की धमकियां 


अमजद खान ने बताया कि ऐसी कोई बात नहीं है. गुल मकई के पोस्टर में बम धमाके का चित्र है जिसका कुरआन की किताब से कोई लेना देना नहीं है. पोस्टर में मलाला बम धमाके वाली जगह के पास खड़ी हैं और उनके हाथ में एक किताब है. इस बेतुकी बात को वजह बना कर अब अमजद खान को काफिर खान कहा जा रहा है और उनको जान से मार देने की धमकियां आ रही हैं. 


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