हो गया तय, भारत की तरफ से अंतरिक्ष में जाएगी ये `खास महिला`
भारत की तरफ से गगनयान भेजे जाने से पहले अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले यात्री का चुनाव हो चुका है. लेकिन ये कोई इंसान नहीं बल्कि महिला की शक्ल वाली ह्यूमनाइड मॉडल होगी.
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र यानी ISRO गगनयान मिशन (Gaganyaan) को लेकर इसरो अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है. 2021 के अंत या 2022 की शुरुआत तक ये मिशन लांच किया जा सकता है. इसे सफल करने के लिए इसरो अपनी ओर से कोई कोर कसर नही छोड़ रहा.
पहले भेजा जाएगा रोबोट
अंतरिक्ष में मानव मिशन को भेजने से पहले इसरो दो बार रोबोट(मानव की तरह दिखने वाला ह्यूमनॉइड मॉडल) भेजेगा. जिसका नाम होगा 'व्योममित्र'. ह्यूमनॉइड मॉडल भेजने का उद्देश्य मानव मिशन के दौरान होने वाले किसी भी बाधा को पहले से ही भांप लेना और उसका निपटारा करना है.
ह्यूमनॉइड मॉडल, जो मानव की तरह दिखने वाला एक रोबोट होगा उसे पहले भेजा जाएगा. जिसे 'व्योममित्र' नाम दिया गया है. इसके शरीर का आधा भाग ही भेजा जाएगा जिसमे पांव नही होगी. इसके पीछे की वजह है कि अंतरिक्ष मे गुरुत्वाकर्षण नही होता ऐसी स्थिति में अंतरिक्ष मे चला नही जा सकता. 'व्योममित्र' वो सभी काम करने में सक्षम है जो अंतरिक्ष के यात्री कर सकते हैं. मानवरहित मिशन की सफलता इसरो का हौसला बढ़ायेगी की मानव मिशन की दिशा में उसके प्रयास सही है.
गगनयान को ले के जाने के लिए ह्यूमनॉइड रेटेड एम के 3 मॉड्यूल का प्रयोग किया जाएगा. ये जीएसएलवी पहले से थोड़ा अलग होगा क्योंकि इसे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान रखना है. इस यान में क्रू एस्केप सिस्टम लगा होगा ताकि विषम परिस्थिति में वो अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल सके. इस यान के भीतर एक इंटेलिजेंट हेल्थ सिस्टम भी लगा होगा जो समय समय पर यान की सेहत की जानकारी देता रहेगा साथ ही किसी भी तकनीकी खराबी को ढूंढ सके जिससे मिशन बाधित न हो.
खतरे की स्थिति में निकलने की तैयारी
इस बार इसरो के मानव मिशन में क्रू एस्केप सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया जाएगा. जो किसी भी मानव मिशन का सबसे अहम हिस्सा है क्योंकि अंतरिक्ष यात्री के जान के जोखिम को ये कम से कमतर करता है. गगन यान में क्रू एस्केप सिस्टम लगा होगा जिस्का इस्तेमाल विषम परिस्थितियों में किया जायेगा. ऐसी स्थिति में क्रू एस्केप सिस्टम गगन यान को अलग कर देगा ताकि वो पैरा शूट की मदद से सुरक्षित उतर सके. इसका उपयोग मिशन लांच के समय और अंतरिक्ष दोनों जगह पर होगा. लांच के समय की स्थिति से निपटने का सफल प्रयोग इसरो ने 2018 में ही सफल कर लिया था. अंतरिक्ष मे स्थिति से निपटने के लिये इसरो जल्द ही ये प्रयोग कर सकता है.
बेहद महत्वाकांक्षी है इसरो का ये मिशन
इसरो ने मानव मिशन भेजने से पहले 3 दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया था. जिसके उद्घाटन के मौके पर इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि मानव मिशन के लिए सभी जरूरी मापदंड हासिल कर लिए है. ये हमारा महत्वाकांक्षी मिशन है अब तक इसरो री एंट्री सिस्टम, रिकवरी सिस्टम, क्रू एस्केप सिस्टम तैयार कर चुका है और अब हम लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर तेजी से काम कर रहे हैं.
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कुछ ऐसा होगा गगनयान
गगनयान का ऑर्बिटर मॉडल वो जगह है जहाँ अंतरिक्ष यात्री रहेंगे. इस मॉडल में कई तरह के सिस्टम लगे होंगे जैसे बैठने की सीट, डिस्प्ले स्क्रीन, लाइफ सपोर्ट सिस्टम, स्टोरेज रैक, पैरा शूट, प्रोपल्सन सिस्टम और स्प्रेशन सिस्टम भी होगा. इसके भीतर एक सब सिस्टम भी होगा जिसमें सोलर पैनल बैटरी प्रोपल्शन सिस्टम लगे होंगे.
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