`मैं हूं एक पोर्न एक्ट्रेस` (पार्ट-7)
पोर्न इन्डस्ट्री के एक्टर्स को परफार्मर कहा जाता है. समाज भारत का हो या दुनिया के किसी भी देश का, इन परर्फामर्स का भविष्य कहीं भी उज्जवल नहीं होता, इन्हें अक्सर अपनी बाकी की जिन्दगी जीने की जद्दोजहद के साथ गुजारनी पड़ती है..
नई दिल्ली. क्या सोच कर कोई पोर्न इन्डस्ट्री में प्रवेश करता है - यह भी एक सोचने वाली बात है. बेरोजगारी का दबाव भी एक कारक हो सकता है किन्तु इसके साथ ही होता है एक और प्रेरक मनोवैज्ञानिक कारण जो कौतुहल और परम-आनंद की चाह अपने भीतर समेटे होता है बिना इस बात को जाने कि इस रौशनी के भीतर अंधेरों का समन्दर है.
बाहर से रौशनी नजर आती है
पोर्न इन्डस्ट्री की एक फीमेल एक्ट्रेस होते हुए मैने देखा है कि यहां रौशनी बाहर से दिखती है लेकिन अंदर आने पर अंदर और बाहर दोनो तरफ ही अंधेरों के साये नजर आते हैं. पर हम अपनी हिम्मत से बढ़े जाते हैं, अपनी कोशिश से जिये जाते हैं. हम तो फीमेल परफार्मर हैं हमें मेल परफार्मर्स से बेहतर भुगतान होता है, उन्हें कम होता है - इसका अफसोस मुझे होता है.
उन्हें भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है
एडल्ट इन्डस्ट्री में मेल परफार्मर हालांकि हम फीमेल्स के मुकाबले कम श्रमपूर्ण जीवन जीते हैं किन्तु चुनौतियां उनकी भी कम नहीं होतीं. हमें नग्न हो कर शॉट देते समय आसपास क्रू मेम्बर्स की भीड़ से फर्क नहीं पड़ता किन्तु मेल परफार्मर का तो सारा परफार्मेन्स ज्यादा लोगों की मौजूदगी में प्रायः कमजोर पड़ जाता है. इसलिये कठोर मेहनत तो वे भी करते हैं बिना एसी वाले कमरे में ब्राइट लाइट के बीच शूट करना आसान नहीं होता.
बॉडी को मेन्टेन रखना होता है
हमारी बॉडी ही हमारा एटीएम है. बॉडी बिगड़ी तो काम हाथ से निकल जाता है फिर चाहे वो कोई फीमेल एक्ट्रेस हो या मेल एक्टर. बॉडी का तो खास तौर पर खयाल रखना पड़ता है क्योंकि किसी तरह की कोई चोट यदि बॉडी पर लग जाये या किसी घाव का निशान पड़ जाये तो हमको बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. इसलिये हमें अपने खाने-पीने और वर्जिश पर विशेष ध्यान देना होता है.
दर्द और दुर्घटना जिन्दगी का हिस्सा होती है
पोर्न इन्डस्ट्री में हम फीमेल एक्ट्रेसेज़ के लिये दर्द रोज साथ चलने वाला हमारा साथी होता है जिसकी हमको धीरे-धीरे आदत पड़ जाती है. दुर्घटना का खतरा भी प्रायः बना ही रहता है और हमारा दुर्घटना बीमा भी कोई नहीं होता इसलिये जरा सी गलती का बड़ा भुगतान हमें ही करना पड़ता है. मैं लेकिन शुक्रिया कहूंगी उन लोगों को जिनकी वजह से हमें भुगतान होता है. वो हमें नहीं देखते तो हम शायद आज ये काम नहीं कर पाते.