'मैं हूं एक पोर्न एक्ट्रेस' (पार्ट-6)

पोर्न इन्डस्ट्री की एक अच्छी बात ये भी है कि यहां जात-पात धर्म संप्रदायों का भेद नहीं होता. हमाम में सब नंगे हैं- का फार्मूला यहां काम करता है और इन्सान-इन्सान के बीच का भेदभाव भी यहां काम नहीं करता....  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Jul 9, 2020, 12:57 AM IST
    • मेल परफार्मर को फीमेल्स से कम मिलता है
    • आमतौर पर तीन से छः माह का है हमारा टाइम
    • फीमेल परफार्मर्स के लिये संघर्ष ज्यादा है
'मैं हूं एक पोर्न एक्ट्रेस'  (पार्ट-6)

नई दिल्ली.  पोर्न इन्डस्ट्री हो या सेक्स वर्कर्स हों - देश की सरकार से शिकायत इनको कभी नहीं रहती. जाति का हो या धरम का भेदभाव, रंगभेद हो या लिंगभेद, नरवाद या नारीवाद- इनको इन सभी अर्थहीन प्रपंचों से कोई लेना-देना नहीं है. ये अपनी तरह के असली कर्मवादी हैं जो कर्म में विश्वास करते हैं और उसके बाद जीवन में.

 

मेल स्टार्स को हमसे कम मिलता है

एडल्ट इन्डस्ट्री में जैसा कि मैने बताया ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी फीमेल परफार्मर को उठानी पड़ती है इसलिये पेमेन्ट भी उनको ज्यादा मिलता है. किन्तु मेल परफार्मर को भी बुरा भुगतान नहीं होता. उनको भी एक सीन के लिये सैंतीस  हजार रुपये से लेकर सत्तर हजार रुपये तक का भुगतान होता है. ये भुगतान हम लोगों के लिये स्टूडियो और उसके बजट के हिसाब से कभी-कभी कम ज्याद हो जाता है.

 

तीन से छः माह का है हमारा टाइम

पोर्न इन्डस्ट्री में फीमेल परफार्मर्स को अपनी जगह बनाये रखने के लिये काफी संघर्ष करना पड़ता है. आम तौर पर मेरी जैसी नौजवान और खूबसूरत फीमेल परफार्मर के लिये भी यहां छः माह से अधिक जगह नहीं होती. तीन से छः माह में हमारी जगह कोई और ले लेता है.

 

फीमेल परफार्मर्स के लिये संघर्ष ज्यादा है

औऱ उसकी वजह भी यही है कि दर्शकों को हमेशा नये नये चेहरों की तलाश रहती है. यदि हमें छः माह के इन्ट्रोडक्शन पीरियेड से अधिक समय तक काम करना है तो हमें कड़ी मेहनत करनी होती है ताकि हमारा फैन बेस बढ़ता दिखाई दे. हमें नित नये सीन्स भी क्रियेट करने होते हैं और इस तरह भी हमारी पहचान दोनो तरफ बनती है.  

(क्रमशः)

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