संत निकोलस कैसे बनें Santa Claus, क्रिसमस पर सांता का सबको रहता है इंतजार
ईसा मसीह के जन्मदिन को पूरी दुनिया X-Mas डे के रूप में सेलिब्रेट करती है. पर क्या आपको पता है क्रिसमस पर लॉर्ड जीसस के बाद सांता क्लोज का खास महत्व है. हर बच्चा क्रिसमस की रात सांता का इंतजार करता है लेकिन क्या आप जानते हैं सांता का इतिहास क्या है और कौन है सांता. इससे जुड़ी पूरी जानकारी के लिए नीचे पढ़ें.
नई दिल्ली: क्रिसमस (X-Mas) को लेकर पूरी दुनिया उत्साहित है लेकिन बच्चों के लिए तो क्रिसमस का मतलब ही सांता होता है. जानकारों की मानें तो आज से करीब डेढ़ हजार साल पहले संत निकोलस का जन्म हुआ था और उन्हें ही सांता के नाम से जाना जाता है.
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कौन है सांता?
सांता (Santa) का घर उत्तरी ध्रुव में बताया जाता है और कहा जाता है कि वह उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं. हालांकि संत निकोलस का जन्म लोर्ड जीसस (Lord Jesus) की मृत्यु के करीब 280 साल बाद हुई थी. सांता का जन्म तीसरी सदी में मायरा में हुआ.
कहा जाता है कि सांता रेईस परिवार में हुआ. पर वह बचपन में ही अनाथ हो गए थे और इसके बाद उनकी आस्था ईसा मसीह (Jesus Christ) में हो गई. ईसा की भक्ति में संता इतने खो गए कि वह बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी बन गए और आगे चलकर बिशप बनें. इसी दौरान उनका लगाव बच्चों से हो गई. वह बच्चों और जरूरतमंदों को अकसर गिफ्ट्स और जरूरत की चीजें दिया करते थे. जानकारों की मानें तो वह गिफ्टस अकसर आधी रात को दिया करते थे क्योंकि उन्हें दिखा कर गिफ्ट्स देना पसंद नहीं था.
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मनाया जाता है 'निकोलस दिवस'
6 दिसंबर को निकोलस दिवस (Nicolas Day) के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत सन् 1200 से फ्रांस में शुरू किया गया. क्योंकि इस दिन संत निकोलस ने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. अमेरिका में 1773 में पहली बार सांता सेंट ए क्लॉज के रूप में सबके सामने आया.
क्यों फ्रांस में चिमनी पर जूते लटकाने की है प्रथा?
दरअसल संत निकोलस (Saint Nicholas) को पसंद नहीं था कि लोगों के सामने उनकी पहचान आएं. और इस तरह संत निकोलस मशहूर हो गए. ऐसे तो संत निकोलस से जुड़ी कई कहानियां मशहूर है पर उसमें से एक कहानी यह है कि एक गरीब की तीन बेटियां थी और तीनों शादी के लायक हो चुकी थी. लेकिन गरीबी के चलते वह उनकी शादियां नहीं करवा पा रहा था और आखिरकार आर्थिक तंगी से बेहाल होकर उस गरीब ने अपनी बेटियों को देह व्यापार की ओर भेजना चाहा. जब संत को इस बात की जानकारी प्राप्त हुई थी उन्होंने उनकी तीनों बेटियों की जुराबों में सोने के सिक्कों की थैलियां डाल दी. संत की इस मदद ने उनको बदहाली की जिंदगी से मुक्ति दे दी. जिसके बाद से फ्रांस में चिमनी पर जूते लटकाने की भी प्रथा शुरू हो गई.
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