मांसाहार से संक्रमण का खतरा अधिक, शाकाहार अपनाना बेहद जरूरी
भारतीय सनातन संस्कृति में वर्षों से एक बात कही जाती रही है कि शाकाहार जीवन सर्वश्रेष्ठ है और सभी को निरोगी रखने में भी सक्षम है. कोरोना संक्रमण के दौरान लोग दोबारा शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता देने लगे हैं.
नई दिल्ली: अपने समाज में एक कहावत बहुत प्रचलित है- जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन. अर्थात मनुष्य जिस प्रकार का भोजन करता है उसका मन, जीवन शैली और मानसिक स्तर उसी प्रकार का होता है. WHO का अनुमान है कि हर साल 2 लाख से भी अधिक मौतें आहार में सब्जी, फलों की कमी, की वजह से होती है. इसका सीधा सा मतलब है कि शाकाहारी भोजन न करना सेहत के लिए बहुत खतरनाक है.
जानवरों का भोजन में प्रयोग जानलेवा
आपको बता दें कि विश्व में कोरोना संक्रमितों का आंकड़े 61 लाख पार कर चुका है. वैज्ञानिकों को फिलहाल इसकी असरदार दवा की खोज में कोई सफलता नहीं मिल सकी, जबकि वैक्सीन पर काम चल ही रहा है. इसी बीच अमेरिका के साइंटिस्ट डॉ माइकल ग्रेगर ने चेताया है कि खाने के लिए हमारी जानवरों पर निर्भरता कोरोना से बड़ी आफत लाने वाली है. शाकाहारी भोजन को छोड़कर मांसाहार करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है जो दूसरे लोगों के लिए भी जानलेवा और घातक साबित होता है.
जानवरों के बाजार बंद करने की मांग
कोरोना के बाद दुनिया के कई विशेषज्ञ लगातार जानवरों का मार्केट बंद करने की बात कह रहे हैं. बता दें कि जानवरों में वायरल लोड इतना ज्यादा होता है कि उन्हें खाने पर या उन्हें काटने और साफ-सफाई के दौरान इंसानों के वायरस की चपेट में आने का खतरा काफी ज्यादा होता है.
चीन में वायरस फैलाने वाली जानवरों की मार्केट फिलहाल बन्द
आपको बता दें कि जानवरों से इंसानों में वायरस के संक्रमण का खतरा देखते हुए कई मीट-ईटर देशों में वेट मार्केट अस्थायी रूप से बंद भी हो रहे हैं. जैसे हाल ही में चीन ने डॉग मीट पर पांच सालों का प्रतिबंध लगा दिया, साथ ही वुहान के पास स्थित वेट मार्केट भी बंद करवा दिया. ये वही मार्केट है, जहां से चमगादड़ या पेंगोलिन जैसे किसी जंतु के जरिए वायरस हम तक पहुंचा माना जा रहा है.
चिकेन कई बीमारियों की जड़
वैज्ञानिकों का कहना है अत्यधिक मांसाहार अनेक संक्रमण को उत्पन्न करता है. हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया कि प्रोसेस्ड मीट या फिर चिकन खाने से कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इस बारे में एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नोरिना ऐलन बताते हैं कि इसकी वजह से दिल की बीमारियों का खतरा लगभग 7 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. इनमें हाई बीपी और स्ट्रोक से लेकर दिल की जन्मजात बीमारियां भी शामिल हैं, जो गर्भवती से बच्चे में पहुंचती हैं.
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इसके अतिरिक्त कई गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर का खतरा भी गोश्त खाने वालों को ज्यादा रहता है. चिकेन की वजह से दिल भी कमजोर होने का डर रहता है. डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि मांसाहार की बजाए लोगों को पेड़ पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए. जैसे सूखे मेवे, मूंगफली, चना, बीन्स और मटर जैसी चीजें मांस से मिलने वाले प्रोटीन की तरह ही शरीर को पूरा पोषण दे सकती हैं.