समंदर के अंदर जीने वाली परियां, क्या सच है MERMAID की जादुई कहानी?
नए सबूतों से ये साफ हो चुका था कि समंदर में जलमानव अभी भी मौजूद हैं, लेकिन अभी कई गुत्थियां सुलझनी बाकी थीं. जैसे कि पानी में ये एक दूसरे से बातें कैसे करते हैं और सबसे बड़ा सवाल था कि ये डॉल्फिन से बातें कैसे कर पा रहे थे.
दिल्ली: वो समंदर में रहते हैं. पानी ही उनका जीवन है. उनकी असलियत पर सवाल भी उठते रहते हैं. सवाल ये है कि आखिर इन जलपरियों का राज क्या है? किस्सों-कहानियों में हमने कई बार जलपरियों का ज़िक्र सुना है, कई बार असल ज़िंदगी में भी जलपरियों को लेकर सबूत सामने आते रहे हैं, लेकिन इसमें कितना सच है, क्या वाकई में जलपरियां होती हैं. जरा इसकी पड़ताल करते हैं.
कार्टून से लेकर तमाम फ़िल्मों तक में हमने जलपरियों को कल्पना से बाहर आते हुए देखा है. ऐसी जलपरियां जो पानी में रहती हैं और लोगों के लिए कभी अच्छी तो कभी बुरी होती हैं. पानी में ऐसी दुनिया की भी कल्पना की गई जिसमें जलमानवों की पूरी सल्तनत कायम है, वो जगह जहां पूरा साम्राज्य रहता है और जिसका एक राजा भी होता है.
क्या भेष बदलकर जमीन पर रह सकते हैं पानी के जीव?
क्या ऐसा भी हो सकता है कि जलपरियां या फिर जल मानव हमारे बीच में यानी की इंसानों के बीच में छुपकर रह रहे हों और हमें जानकारी तक ना हो. क्या ऐसा हो सकता है पानी में रहनेवाले वो जीव इतने काबिल हैं कि भेष बदलकर ज़मीन पर भी रह सकते हों.
जैसे हम मानते हैं कि अलकायदा ने अमेरिका पर हमला किया, जैसे हम मानते हैं कि चांद पर इंसान जा चुका है, जैसे हम मानते हैं कि राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से हिन्दुस्तान को देखा था, वैसे ही वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर किसी चीज़ की पुष्टि करते हैं और जलपरियों को लेकर पूरी दुनिया में पड़ताल जारी है उस पड़ताल में क्या कुछ निकल कर सामने आया और क्या विश्व भर की सरकारें हमसे कुछ छिपा रही हैं?
साल 2004, अमेरिका
अमेरिका की बीच पर एक बार में दर्जनों व्हेल मरी हुई मिलीं, दो लड़के उस बीच पर पहुंचे थे जहां ये घटना घटी थी, उस दिन मोबाइल कैमरे पर कुछ रिकॉर्ड किया गया था, दोनों लड़कों को कहना था कि उन्होंने वहां कुछ देखा था. लड़कों ने क्या देखा था. अमेरिकी नेवी ने उनकी बातों को पहले रिकॉर्ड में लिया भी फिर उसे रिकॉर्ड से हटा दिया, ऐसा क्यों, क्या अमेरिकी नेवी कुछ छिपा रही थी.
4 अप्रैल 2004, मोक्लेप्स बीच, वॉशिंगटन स्टेट, अमेरिका
अमेरिका के इतिहास में इतनी सारी व्हेल एक साथ एक जगह पर इससे पहले मरी नहीं मिली थी. इसकी पड़ताल करने वहां नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉसफियरिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक टीम वहां पहुंची, इस टीम में तीन लोग थे, वहां जो हुआ था उसे देख वो सकते में आ गए. शुरुआती जांच में पाया गया कि सभी की सभी व्हेल्स के कान से ख़ून निकला और वो मर गई. ये समझते देर नहीं लगी कि उनकी मौत घबराहट में हुई है लेकिन एक साथ इतनी सारी मौतें सवाल खड़ें कर रही थीं.
आंतरिक ट्रॉमा से गुजरी थी व्हेल
वहां मौजूद लोगों ने कहा कि हमने ऐसा कभी नहीं देखा था. हर एक व्हेल के कान से ख़ून निकल रहा था. इसका मतलब ये था कि वो सभी की सभी व्हेल किसी तरह के आंतरिक ट्रॉमा से गुज़री थीं. हमने कई सारे अंगों से सैम्पल लिए और हम उसे माइक्रोस्कोप में देखने वाले थे कि इसकी वजह आखिर है क्या.
उससे बड़ा सवाल ये था कि इस मामले से अमेरिकी नेवी का क्या लेना देना है. नेवी ने पूरे इलाके को सील कर दिया था और एक ख़ास जगह पर तो नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉसफियरिक एडमिनिस्ट्रेशन की टीम को भी जाने की इजाज़त नहीं थी, सवाल था कि उनके पास ऐसा क्या था?
क्या नेवी कर रही थी व्हेल की लाश के साथ एक्सपेरिमेंट?
रिसर्चर नोवा फिशरी डिपार्टमेंट, वॉशिंगटन के डॉ. पॉल रॉबर्टसन ने कहा कि हम जब वहां पहुंचे तो तेज़ हवा चल रही थी, हमने वहां नेवी को काम करते देखा. उन्होंने बीच के एक सेक्शन को खाली करा दिया था, और वे सब हैजमैट सूट में थे, ये कोई भी हो सकते थे, बायोलॉजिस्ट या मेडिकल स्टाफ, हम कह नहीं सकते लेकिन उन्होंने हमारा ध्यान खींचा.
क्या नेवी उस लाश के साथ थी जिसे उन लड़कों ने देखा था. या फिर नेवी जो छिपा रही थी, उस पर वो ख़ुद किसी एक्सपेरिमेंट में लगी थी. ऐसा कई जगहों पर देखा गया, दुनिया के अलग अलग हिस्सों में ये दिखा कि व्हेल और डॉल्फिन यूं ही मारी जा रही थीं, अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया और हॉन्गकॉन्ग तक में.
नेवी ने अपने हाथ में ले लिया पूरा कंट्रोल
हैरान कर देने वाली बात ये थी कि हर घटना में व्हेल के साथ दूसरी लाशों के मिलने का भी ज़िक्र आया और हर वाक्या इसलिए दिलचस्प था क्योंकि जहां भी ऐसी घटना घटी वहां नेवी ने पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया. आखिर इसकी क्या वजह थी. कुछ जगहों पर देखा गया कि सिर्फ लाशें ही नहीं बल्कि कुछ और भी मिला था, ये किसी तरह के हथियार थे.
आखिर क्या हो रहा था व्हेल्स के साथ? वो हथियार किसके थे? क्या कोई था जो उन्हें मार रहा था और वैज्ञानिकों को अपनी पड़ताल में आखिर क्या मिला.
नोवा टीम को मिला व्हेल्स का हैरान करने वाला सैंपल
साल 2004 में पूरी दुनिया में कई बीचों पर व्हेल्स मरी पड़ी मिल रही थीं, व्हेल्स की मरने की वजह पता नहीं थी, वैज्ञानिकों के पास जवाब नहीं थे और ना ही एडमिनिस्ट्रेशन के पास लेकिन अमेरिका की नोवा टीम को व्हेल्स के सैम्पल में कुछ हैरान करनेवाला मिला.
नोवा फिशरी डिपार्टमेंट के रिसर्चर डॉ रेबेका डेविस ने कहा कि जब हमने सैम्पल्स को देखा तो हमें लगा कि हमें ट्रॉमा के सबूत मिलेंगे क्योंकि कानों से बहता ख़ून यही कहता था, लेकिन हमने दो देखा उसके लिए हम तैयार नहीं थे. अंदरूनी अंग सही सलामत थे. हमने जो देखा वो किसी हमले जैसा था. सैम्पल पर गोल निशान थे, नुकसान साफ दिख रहा था और ये सभी सैम्पल्स में था.
ब्रायन ने जारी किया एक सिद्धांत
ब्रायन ने तुरंत एक सिद्धांत दिया कि ये किसी बहुत ताक़तवर और कम तीव्रता का साउंड वेव हो सकता है जिसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया और वे व्हेल्स के अंदर काफी तेज़ी और काफ़ी ताक़त के साथ घुसी थीं.
अब पता लगाना था कि वो साउंड वेव्स कौन सी थी और कहां से आई थीं. इसके लिए वैज्ञानिकों ने समंदर की आवाज़ सुनने की ठानी और जो आवाज़ सुनाई दी वो कभी नहीं सुनी गई थी
1997 में रिकॉर्ड की गई आवाज दोबारा सुनाई दी
पॉल रॉबर्टसन ने कहा कि हमने रिकॉर्डिंग में एक और आवाज़ सुनी, ये किसी जानवर की हो सकती थी और हमें लगा कि ये एक ब्लूप सिग्नेचर है, वही जानवर जिसे 1997 में रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन इस मामले में हमारी रिकॉर्डिंग काफी लंबी थी, ये बहुत ही उलझा हुआ था जिसे मैंने इससे पहले किसी जानवर में नहीं सुना, हमें कोई आइडिया नहीं था कि ये आवाज़ किसकी है.
चैंबर में बंद था एक जीव
साल 2009 में अमेरिका के साउथ कैरोलीना की एक नेवी फैसिलिटी में एक वीडियो रिकॉर्ड किया गया जिसमें एक चेम्बर में बंद कोई जीव दिखा था. उन्होंने कहा कि मैंने वो तस्वीरें देखी हैं जो बीयूफोर्ट में ली गई थीं, मुझे नहीं पता कि वो वीडियो असली है या नहीं क्योंकि ये मायने नहीं रखता. नेवी हर तरह की गुप्त जानकारी छिपा कर रखती है लेकिन वे कितनी भी सख़्ती कर लें लेकिन लीक्स तो होते रहते हैं.
सबूत पर सबूत मिल रहे थे, जो इशारा कर रहे थे कि समंदर में कोई और भी रहता है, जिनके पास ऐसे हथियार हैं जिसे सालों पहले से देखा जाता रहा है, बड़ी मछलियों में पाए जाते रहे हैं. यानी सिर्फ इंसान ही मछलियों का शिकार नहीं कर रहे थे बल्कि कोई और भी था जो उनका शिकार कर रहा था.
वो इंसान जो रहते हैं समंदर के अंदर
वैसे माना जाता है कि इंसान भी कभी एक समुद्री जीव था और आज भी इंसानों में ऐसे सबूत मिलते हैं, जो दरअसल किसी समुद्री मेमल से मेल खाते हैं. इंसानों का तैरना, उनका पानी में बिना सांस लिए रह पाना, ऐसी तमाम चीज़ें हैं जो इंसानों को समंदर से जोड़ती हैं, तो क्या ऐसे भी इंसान हो सकते हैं जो समंदर की ज़िंदगी से बाहर नहीं निकल पाए और जिनके लिए आज भी समंदर ही उनका घर है और क्या वो जलपरियां हैं.
कई दफा सुनी गईं आवाजें
जैसी आवाज़ अमेरिका में सुनी गई, ठीक वैसी ही आवाज़ दक्षिण अफ्रीका में सुनी गई लेकिन यहां उन आवाज़ों के साथ कुछ और आवाज़ें थी और वो आवाज़ थी डॉल्फिन्स की, लेकिन यहां पर एक बातचीत थी. आपस में बातचीत उस अज्ञात जीव और डॉल्फिन्स के बीच. ये डॉल्फिन्स थीं लेकिन कोई नए प्रजाति की डॉल्फिन. इसने मुश्किल में डाल दिया कि हम आखिर ढूंढ क्या रहे हैं?
फिर वैज्ञानिकों को कुछ पुख़्ता सबूत मिले एक सार्क के पेट में. एक ऐसे जीव को सार्क ने खाया था जो बिल्कुल नई प्रजाति का था और उसकी रीढ़ की हड्डियां बिल्कुल अलग थीं. और उस सार्क के अंदर से ऐसे हथियार मिले जिनका इस्तेमाल उसे मारने के लिए किया गया था.
साठ लाख साल पहले का इंसान जो समंदर में रहता था
ऐसा लग रहा था कि 60 लाख सालों पहले का इंसान जो समंदर में रहता था वो शिकार कर रहा हो. समंदर का ये इंसान 45 लाख साल पहले तक आते-आते समंदर में रहना और तैरना सीख चुका था और ये समंदर के जीवों से बात करना भी जान चुका था. यही वो जलपरियां थीं जो डॉल्फिन के साथ खेलती भी थीं और समय आने पर उनके साथ शिकार भी करती थीं. 31 लाख साल आते-आते इंसान समंदर की गहराईयों में गोता लगाने लायक बन गया.
वैज्ञानिकों को सार्क के अंदर से जो बॉडी मिली थी वो बता रही थी कि नेवी के सोनिक बूम से उन्हें भी ज़ख़्म मिले थे. कहने का मतलब नेवी जिस हथियार का इस्तेमाल कर रही थी वो सिर्फ व्हेल्स को नहीं मार रही थी बल्कि वो समंदर में एक और नई प्रजाति को मार रही थी. अब सवाल था कि वो नई प्रजाति कौन सी थी.
ऐसी होती है बनावट
वहां मौजूद लोगों ने बताया कि अगर आप इंसानों में देखें तो कमर का ऊपरी हिस्सा एक चोटी की तरह होता है जिसे इलियाक क्रिस्ट कहते हैं. जो वज़न को संभालने का काम करते हैं. मैंने उस जीव को देखा और उसमें भी हुबहू क्रिस्ट उसकी कमर पर था. ऐसा कैसे हो सकता था जब तक कि हमने ये नही जाना कि हम उसे ग़लत तरीके से देख रहे थे, हमें उसे घुमाकर देखना था. जब ये साफ हो गया कि ये जीव कभी दो पैरों पर चलता था और यहां पर एक ही जानवर है जो दो पैरों पर चलता है.
दो पैरों पर चलने वाला समुद्री जीव
इस खोज में पाया गया कि उनके हाथ भी थे, यानी एक ऐसा जीव जो समंदर में रहता है, कभी दो पैरों पर चलता था और उसके दो हाथ भी हैं. तो क्या ये वो जलमानव थे जो वाकई समंदर में रहते हैं और एक घटना से वो इंसानों के सामने आ गए. कहीं ऐसा तो नहीं इंसान समंदर में ही रहते थे और वहीं से ज़मीन पर आए.
नए सबूतों से ये साफ हो चुका था कि समंदर में जलमानव अभी भी मौजूद हैं, लेकिन अभी कई गुत्थियां सुलझनी बाकी थीं. जैसे कि पानी में ये एक दूसरे से बातें कैसे करते हैं और सबसे बड़ा सवाल था कि ये डॉल्फिन से बातें कैसे कर पा रहे थे.
शरीर से निकलती हैं तरंगें और सिर पर एक मांस
अज्ञात जीव के उन अवशेषों से कम्प्यूटर पर ग्राफिक्स के ज़रिए जो खोपड़ी तैयार की गई उससे ये पाया गया, इंसानों में पाए जाने वाले सूचना तंत्र इस प्रजाति में काफी बड़ी थी और ये सीधे साइनस कैविटी से जुड़ी थी और सिर पर एक ऐसा मांस विकसित हो चुका था जिससे तरंगे निकलती थी और इसी से वो आपस में और डॉल्फिन से भी बात कर पाते थे.
जाहिर यही उन्हें अलग बनाता था और यही उन्हें जल में रहते हुए शिकार के लिए मदद करता था.
हमने एक नया जीव खोज लिया था, जो हम हफ़्तों से कहना चाहते थे. लेकिन वैज्ञानिक परिकथाएं नहीं सुनाते और हम जो देख रहे थे वो जलपरियां थीं.
अगर बीयूफर्ट की तस्वीर असली हैं तो ये अकेला नहीं है जिसे हमने वाशिंगटन बीच से लिया था. वो तो ऐसी हालत में नहीं थी कि उसे कहीं ले जाया जा सके. उन दो लड़कों ने जो देखा वो मैंने भी देखा, मुझे पता है कि उन्होंने जो नेवी से कहा वो सही था. आप क्या सोचते हैं कि लोग क्या करेंगे जब वो जानेंगे कि हम एक अज्ञात जीव को मार रहे हैं वो भी वो जो इंसानों के ही रिश्तेदार हैं.
ऐसा रहा है जलमानव-जलपरियों का अस्तित्व
जलमानवों और जलपरियों के अस्तित्व को साबित करने के लिए दुनिया भर का इतिहास भी हमारे सामने है, जिसमें ऐसे ही जीवों को दिखाया गया है.
कुछ वैज्ञानिकों ने इसे साबित करने की कोशिश की है कि जलमानव या जलपरियों का अस्तित्व है लेकिन आज भी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, यानी कहा नहीं जा सकता कि वो हैं भी या नहीं. ये राज़ आज भी बाक़ी है, लेकिन जाते जाते उन दो लड़कों ने जो शूट किया था वो वीडियो पूरा देख लीजिए
इसमें एक घायल ज़लमानव लड़के को पकड़ने की कोशिश करता है, जिसे बाद में नेवी अपने साथ ले जाती है और उसे बीयूफर्ट की नेवी फैसिलिटी में रखा जाता है, जहां उसका इलाज भी होता है लेकिन साल 2007 में उसकी मौत हो जाती है.
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