नई दिल्ली. कोरोना के शोर में हर आवाज़ दब जाती है. देश हो या दुनिया, आवाज़ सिर्फ कोरोना की ही आती है. ऐसे में भारत के दो प्रदेशों में कुछ ऐसा हुआ है जो एक तरफ तो प्रशंसनीय है तो दूसरी तरफ प्रेरणास्पद भी है.


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देश के नेताओं को सीखना चाहिए दोनों से 


मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने वह काम किया है जो वस्तुतः अनुकरणीय है. इससे न केवल भारत के नेताओं को सीखना चाहिए बल्कि दूसरे देशों के छोटे और बड़े नेताओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए. यह एक सुन्दर घटनात्मक समावेश भी है जिसमें दर्शित होता है कि एक मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी का है तो दूसरा कांग्रेस का है. विरोधी पार्टियों के दोनों प्रादेशिक नेता आज कोरोना-संघर्ष के दौर में अपनी पार्टियों के केंद्रीय नेताओं को भी कदाचित पीछे छोड़ दिया है.


श्रमिक क़ानून में सार्थक संशोधन किये शिवराज ने 


 शिवराज सिंह चौहान ने संशोधित श्रमिक कानून में जो दुबारा संशोधन किये वे लाजवाब हैं. इन नए श्रम सुधारों से श्रमिकों को अब काफी राहत मिलेगी. सीएम शिवराज ने इस क़ानून में इस तरह के प्रावधान कर दिए हैं कि किसी भी श्रमिक से उसकी सहमति के बिना 12 घंटे रोज की शिफ्ट नहीं कराई जा सकेगी. यदि ऐसा कराया जाएगा तो उस श्रमिक को दुगुना पारिश्रमिक दिया जाएगा. इतना ही नहीं महिला श्रमिकों को भी अब नए प्रावधानों के अंतर्गत तमाम सुविधाएं मिलेंगी. 


आयुर्वेद और योग को सम्मानित किया 


कोरोना-काल में आयुर्वेद और योग एक बहुत बड़ी विरासत में मिली उपलब्धि सिद्ध हो रहे हैं. सीएम शिवराज ने आयुर्वेदिक काढ़े के दो करोड़ पूड़े सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में बंटवाए हैं और अपने स्तर पर करोड़ों लोगों को आसन-प्राणायाम करने की सीख भी दी है.


बघेल ने की श्रमिक अनुदान राशि की घोषणा 


सीएम बघेल ने भी छत्तीसगढ़ में अनुकरणीय कार्य किया है. उन्होंने  घोषणा की है कि वे प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ रु. की अनुदान राशि देंगे. इसके भी पूर्व 1500 करोड़ रु. किसानों के खाते में सीधे भेज दिए जाएंगे. गन्ना-किसानों को तेरह हज़ार रुपये प्रति एकड़ दिए जाएंगे जबकि धान-किसानों को दस हज़ार रुपए प्रति एकड़ दिए जाएंगे. यह विशेष सहायता सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी, अनुसूचित, पिछड़े और गरीब किसानों को फायदा पहुंचाएगी. छत्तीसगढ़ के नब्बे प्रतिशत जनसंख्या इन्हीं लोगों की है.  


कृषि मजदूरों पर भी ध्यान देगी बघेल सरकार 


कृषि क्षेत्र में राहत या सुविधाओं के वितरण में कृषि श्रमिकों को प्रायः सरकारों द्वारा नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है. ये भूमिहीन कृषक और लाखों निर्धन श्रमिकों की सुध भी बघेल सरकार लेने जा रही है. देश की केंद्र सरकार भी कुछ इस तरह के प्रावधान देश भर के किसानों और प्रवासी मजदूरों के लिए कर सकती थी.


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