100 करोड़ से ज्यादा लोगों में है बहरेपन का खतरा, WHO ने दी चेतावनी
Hearing Loss: डॉक्टर डैनियल फिंक का कहना है कि व्यापक स्तर पर चिकित्सा और ऑडियोलॉजी समुदाय को इस गंभीर खतरे पर ध्यान देने की जरूरत है. युवाओं में ईयरबड्स लगाने की आदत उन्हें 40 की उम्र तक सुनने की क्षमता को कमजोर कर सकता है.
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WHO ने अपनी रिपोर्ट में चिंता जताते हुए कहा कि 12 से 35 साल की उम्र के 100 करोड़ से ज्यादा लोगों में सुनने की क्षमता कम होना या बहरेपन का खतरा हो सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण ईयरबड्स में तेज आवाज में म्यूजिक सुनना और शोर वाली जगहों पर रहना है.
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रिपोर्ट के मुताबिक हेडफोन या ईयरबड्स के साथ पर्सनल म्यूजिक प्लेयर का उपयोग करने वाले लगभग 65 प्रतिशत लोग 85 डेसिबल से ज्यादा आवाज को प्रयोग में लाते हैं. यह कान के अंदरूनी हिस्से को नुकसान पहुंचाता है. तेज आवाज के संपर्क में आने से समय के साथ कई सेल्स नष्ट हो जाते है, जिससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है.
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'कोलोराडो यूनिवर्सिटी' में ENT विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर डैनियल फिंक का कहना है कि व्यापक स्तर पर चिकित्सा और ऑडियोलॉजी समुदाय को इस गंभीर खतरे पर ध्यान देने की जरूरत है. युवाओं में ईयरबड्स लगाने की आदत उन्हें 40 की उम्र तक सुनने की क्षमता को कमजोर कर सकता है.
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साल 2011 की एक स्टडी के मुताबिक सुनने की क्षमता में कमी न सिर्फ कानों को प्रभावित करती है बल्कि यह डिमेंशिया जैसी कई मस्तिष्क संबंधित बीमारियों को भी बढ़ावा देता है. स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को कम या बिल्कुल नहीं सुनाई देता है उनमें बहरेपन के साथ डिमेंशिया का खतरा ज्यादा रहता है.
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स्वास्थय विशेषज्ञों के मुताबिक सुनने के लिए 60-70 डेसिबल या उससे कम की ध्वनि आमतौर पर सबसे सुरक्षित माना जाता है. 85 या उससे ज्यादा की ध्वनि के लगातार संपर्क में आना आपके कानों के लिए खतरनाक हो सकता है. कुछ ईयरबड्स और हेडफोंस जैसे उपकरणों में 100 से अधिक की ध्वनि होती है.
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