Ratan Tata: अपनी संपत्ति का कितना हिस्सा दान करते थे रतन टाटा, करोड़ों को कौड़ियों की तरह बांट देते थे
Ratan Tata Death News: रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे हैं. वह अपनी दरियादिली, सादगी के लिए मशहूर थे. वह अपनी संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा दान कर देते थे.
दरियादिली का दूसरा नाम थे रतन टाटा
रतन टाटा की दरियादिली के किस्सा तमाम हैं. नैनो कार लॉन्च करने का आइडिया भी इसी खूबी की वजह से उनको आया था. वह एक बार एक परिवार को बारिश में भीगते हुए देख रहे थे तो उन्हें भारत में सस्ती कार लॉन्च करने का विचार आया.
कई स्कॉलरशिप चलाता है टाटा ग्रुप
रतन टाटा सिर्फ इंसानों के लिए प्रति ही दयालु नहीं थे बल्कि वह जानवरों को भी प्यार करते थे. यही नहीं टाटा ट्रस्ट छात्रों के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप भी चलाता है. जैसेः J.N. Tata Endowment, Sir Ratan Tata Scholarship और Tata Scholarship आदि.
कोरोना के समय किया था 1500 करोड़ का दान
टाटा शिक्षा एवं विकास ट्रस्ट ने 28 मिलियन डॉलर का छात्रवृत्ति कोष दिया था ताकि कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में भारत के ग्रेजुएट छात्रों को स्कॉलरशिप मिल सके. वहीं टाटा ग्रुप ने कोरोना महामारी के दौरान 1500 करोड़ रुपये का दान किया था.
66 फीसदी हिस्सा दान में
टाटा ट्रस्ट सामान्य हालात में हर साल 1200 करोड़ रुपये परमार्थ के लिए खर्च करता है. रिपोर्ट्स की मानें तो रतन टाटा अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा दान करते थे. वह टाटा होल्डिंग कंपनी के तहत कमाई का 66 फीसदी हिस्सा दान कर दिया जाता था.
सबसे पुराना फाउंडेशन है टाटा ट्रस्ट
टाटा ट्रस्ट को दुनिया का सबसे पुराना फाउंडेशन माना जाता है. ये ट्रस्ट शिक्षा और स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा दान करता है. 100 वर्षों में टाटा ग्रुप ने 7.60 लाख करोड़ रुपये दान किए. वहीं टाटा ग्रुप के जमशेदजी टाटा के नाम 100 वर्षों में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 7.60 लाख करोड़ रुपये दान करने की उपलब्धि है.