Kumar Vishwas Desh Bhakti Kavita: कुमार विश्वास की देशभक्ति कविता, पढ़कर आंखें हो जाएंगी नम!
Kumar Vishwas Desh Bhakti Kavita: कुमार विश्वास ने प्रेम पर तो खूब कविताएं लिखी हैं. लेकिन काफी कम लोग जानते हैं कि कुमार विश्वास ने देशभक्ति और देशप्रेम को लेकर भी कविताएं लिखी हैं. आइए, पढ़ते हैं उनकी `है नमन उनको` कविता.
कुमार विश्वास
देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे, पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है, है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं, कंचनी तन, चन्दनी मन, आह, आँसू, प्यार, सपने राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है,
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये
- कुमार विश्वास
Zee Bharat ने ये कविता इंटरनेट से ली है.
है नमन उनको
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं, है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं, लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाओं
कुमार विश्वास की देशभक्ति कविता
हमने लौटाये सिकन्दर सर झुकाए मात खाए हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है, नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयां है, सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे शीश देने की कला में क्या अजब है क्या नया है, जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
कुमार विश्वास की कविता
पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा मां वही जो दूध से इस देश की रज तौल आई, बहन जिसने सावनों में हर लिया पतझर स्वयं ही हाथ ना उलझें कलाई से जो राखी खोल लाई, बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रहीं थीं पिता तुम पर गर्व है चुपचाप जाकर बोल आये, है नमन उस देहरी को जहां तुम खेले कन्हैया घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं, है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय ....
स्वतंत्रता दिवस पर कुमार की कविता
है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं, है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं