Tamilnadu: जयललिता और करुणानिधि के बगैर हो रहा Election किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा?

तमिलनाडु में विधानसभा की 234 सीटों पर चुनाव होने हैं. यहां एक चरण में ही 6 अप्रैल को चुनाव ​होंगे. वहीं, इसके नतीजे 2 मई को घोषित किए जाएंगे. यहां AIDMK और DMK के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है. आइए जानते हैं इस विधानसभा चुनाव में कौन से जरूरी मुद्दे हैं.

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किसको तरफ जाएंगे तमिलनाडु के मुस्लिम वोटर्स

तमिलनाडु राज्य में हमेशा से ही AIADMK और DMK दलों के बीच मुकाबला देखने को मिला है. जहां एक तरफ AIADMK और बीजेपी के कई नेता हिंदू कार्ड खेल रहे हैं तो वहीं दुसरी तरफ DMK भी मुसलमानों को रिझाने की कोशिश कर रही है. 234 सीटों वाले तमिलनाडु राज्य में मुसलमानों की आबादी 5.86 फीसदी है जो वहां के 10 से ज्यादा सीटों पर सीधा असर डालती हैं. राज्य के मुसलमान हमेशा से DMK के सपोर्ट में रहे हैं. गौरतलब है कि इस बार चुनाव में MNM कमल हासन की पार्टी चुनाव में उतरी है. जाहिर है MNM पार्टी DMK के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. हाल ही में तेजस्वी सूर्या ने DMK फर आरोप लगाया था कि DMK केवल अपने परिवार का विकास करती है. DMK को तमिलनाडु के विकास से कुछ लेना-देना नहीं है. जाहिर है जब ADAIMK हिंदू कार्ड खेल रही हैं तो, मुस्लिम जयललिता की पार्टी को वोट देने से बचेगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम वोटर्स किस तरफ जाते हैं.

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हिंदी बनाम तमिल कल्चर

तमिलनाडु में भाषा का विवाद काफी पुराना है. राज्य की तमिल भाषा पूरी दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. इस मुद्दे का असर हमेशा से ही चुनाव पर पड़ता है. इस बार चुनाव में BJP और AIADMK एक साथ हैं, तो वहीं हमेशा की तरह DMK और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ेंगी. यहां के कुछ लोग केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हैं कि वह तमिल भाषा का जड़ से खत्म करना चाहती है. गौरतलब है कि जब से केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति लॉन्च की है तब से ही प्रदेश में यह मुद्दा गरमाया हुआ है. दरअसल, नई शिक्षा नीति तीन भाषाओं वाले सिस्टम को लागू करना चाहती थी, जिसमें स्थानीय भाषा के साथ अंग्रेजी, हिंदी भी शामिल रहे. लेकिन तमिलनाडु ने इसका जमकर विरोध हुआ. चुनाव में यह मुद्दा जोर शोर से उठ रहा है.

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‘एंटी-हिंदू कार्ड

जब से विधानसभा चुनाव की तारीखों को ऐलान हुआ, तब से लगातार AIADMK के सभी नेता DMK पर ‘एंटी-हिंदू’ का आरोप लगा रहे हैं. AIADMK बीजेपी के साथ ‘एंटी-हिंदू’ कार्ड खेलती नजर आ रही है. हाल ही में बीजेपी के नेता और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने DMK के सभी नेताओं को एंटी हिंदू करार दिया. अगर पिछले कई सालों की बात करें तो DMK और उसके नेता शुरुआत से ही हिंदूओं के खिलाफ बयान देते आ रहे हैं. AIADMK लगातार जनता को समझाने की कोशिश कर रही हैं कि अगर आपको तमिल को बचाना है तो आपको तमिलनाडु में हिंदुत्व को लाना होगा. दरअसल, AIADMK का यह आरोप लगाना कोई आम बात नहीं है. DMK के पूर्व अध्यक्ष करुणानिधि कई बार हिंदुओं के खिलाफ बयान देते हुए नजर आ चुके हैं. उन्होंने कई बार कहा था कि ‘राम नाम का कोई व्यक्ति अस्तित्व में ही नहीं है. साथ ही उन्होंने रामसेतु को भी मानने से मना कर दिया था. भगवान राम के नाम पर DMK कई बार गंदे बयान देती आई है. इस चुनावी माहौल में अब यह देखना खास होगा कि क्या, AIADMK ‘एंटी-हिंदू’ कार्ड खेलने में सफल होती है या नहीं. 

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श्रीलंकाई तमिलों का मुद्दा चरम पर

तमिलनाडु में चुनाव आते ही श्रीलंकाई तमिलों का मुद्दा गरमा जाता है. दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर दोनों पार्टियां एक साथ नजर आती हैं. कोई भी दल श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे का जिक्र नहीं करता. बता दें कि श्रीलंका के उत्तर और पूर्वी क्षेत्रों में तमिल रहते हैं जो वहां अल्पसंख्यक हैं. श्रीलंका में सबसे ज्यादा सिंहली समुदाय के लोग हैं और वे बौद्ध धर्म को मानते हैं. वहीं श्रीलंका में तमिल मुख्य रूप से हिंदू हैं. दरअसल, श्रीलंका के आजाद होने के बाद सिंहली समुदाय ने पूरे श्रीलंका में सिंहली भाषा को बढ़ावा देना शुरू कर दिया था. इसी कारण  श्रीलंका में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल (LTTE) का जन्म हुआ था और यह समुदाय तमिलों के हक और उनकी मांग के लिए लड़ाई लड़ने लगे. लिहाजा, भारत में यह मुद्दा इसलिए उठाया जाता है क्योंकि यहां लाखों श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी रहते हैं. तमिलनाडु के लोगों के इस मुद्दे पर किसी पार्टी को वोट देना थोड़ा मुश्किल हो जाता हैं क्योंकि दोनों में से कोई भी पार्टी इस मुद्दे का जिक्र करती नहीं दिखती. 

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किसका चेहरा देख जनता देगी वोट

केंद्र की गद्दी पर काबिज बीजेपी दक्षिण के तमिलनाडु में पैर जमाने की कोशिश लंबे समय से कर रही है, लेकिन अब तक उसे सिर्फ निराशा ही लगी है. तमिलनाडु की पूरी राजनीति AIADMK और DMK के इर्द-गिर्द ही घूमती है. इसलिए राष्ट्रीय पार्टियां भी इन दोनों दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ती हैं. मौजूदा वक्त में तमिलनाडु में एनडीए (NDA) की सरकार है, यह सरकार ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) की अगुवाई में चल रही है. केंद्र की सत्ता संभाले वाली बीजेपी भी इसी सरकार का हिस्सा है. AIADMK पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता और DMK के दिग्गज नेता एम.करुणानिधि के निधन के बाद तमिलनाडु की सियासत बिल्कुल बदल गई है. इस समय चुनाव के लिए दोनों दलों में से किसी के पास भी कोई बड़ा चेहरा नहीं हैं. यही कारण है कि बीजेपी पीएम मोदी का चेहरा लेकर चुनाव में उतर चुकी है. वहीं दूसरी तरफ DMK और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) लंबे बक्त से एक साथ है. DMK के पास भी कोई बड़े नेता का चेहरा नहीं है. एम. करुणानिधि के निधन के बाद उनके बेटे एम.के. स्टालिन के हाथ में पार्टी की कमान है, ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर DMK चुनाव जीतती है तो मुख्यमंत्री का चेहरा भी वही होंगे. ऐसे में यह देखने दिलचस्प होगा कि तमिलनाडु की जनता किस नेता का चेहरा देख उस पार्टी को सत्ता की कमान सौंपेंगी.

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