Bengal Chunav: तस्वीरों में देखिए दीदी की व्हील चेयर `पॉलिटिक्स`
पश्चिम बंगाल में व्हील चेयर चुनावी खेला शुरू हो चुका है. चोट लगने के बाद ममता बनर्जी ने व्हील चेयर से प्रचार करना शुरू कर दिया है. कोलकाता में दीदी ने व्हील चेयर पर रोड शो निकाला. इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरे लिए जनता का दर्द, मेरे दर्द से ज्यादा बड़ा है. इन तस्वीरों से आप ममता बनर्जी व्हील चेयर `पॉलिटिक्स` को समझिए.
दीदी व्हील चेयर पर कर रही हैं चुनाव प्रचार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने व्हील चेयर से चुनाव प्रचार करना शुरू कर दिया है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में व्हील चेयर पर बैठकर रोड शो किया. नंदीग्राम में 2007 में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए आंदोलनकारियों को रविवार को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने ‘शहीदों’ के सम्मान में इस निर्वाचन क्षेत्र में ‘बंगाल विरोधी’ ताकतों से लड़ने का फैसला किया है.
चोट लगने के बाद पहली बार चुनाव प्रचार
चोट लगने के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पहली बार मेगा मार्च कर रही है. वो व्हील चेयर पर चुनाव प्रचार बैठकर कर रही हैं. उन्होंने कहा कि हम झुकेंगे नहीं, निडर होकर लड़ेंगे. नंदीग्राम सीट पर अपने पूर्व सहयोगी और भाजपा प्रत्याशी शुवेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ रही बनर्जी ने कहा कि किसान पश्चिम बंगाल का गौरव हैं और प्रदेश सरकार उनके विकास के लिए अथक काम कर रही है.
रोड शो में बड़ी तादाद में जुटे समर्थक
ममता दीदी के रोड शो में बड़ी तादाद में समर्थक जुटे. ये मेगा मार्च कोलकाता के मेयो रोड से हाजरा क्रॉसिंग तक रोड शो निकाला गया. रोड शो से पहले ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि, बंगाल की जनता का दर्द मेरे दर्द से ज्यादा अहम है. पूरी ताकत से हमारी लड़ाई जारी रहेगी. ममता ने ट्वीट किया और लिखा कि '2007 में आज के ही दिन बेगुनाह ग्रामीणों को नंदीग्राम में गोलीबारी कर मार दिया गया था. कई लोगों के शव मिल भी नहीं सके. यह राज्य के इतिहास का काला अध्याय था. जान गंवाने वालों को दिल से श्रद्धांजलि.'
ममता बनर्जी ने चोट को बनाया चुनावी मुद्दा
नदीग्राम में ममता बनर्जी पर कोई हमला नहीं हुआ था. चुनाव आयोग को हमले के सबूत नहीं मिले. पर्यवेक्षकों ने हमले के आरोपों को खारिज किया. TMC ने ममता की चोट को चुनावी मुद्दा बनाने की भरपूर कोशिश की. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. वर्ष 1990 में ममता बनर्जी पर हमला हुआ. तब ममता कांग्रेस की बड़ी नेता बनकर ऊभरीं थीं. ममता लेफ्ट को हराकर लोकसभा पहुंची थी. 7 जनवरी 1993 को ममता बनर्जी को घसीटकर कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग से निकाला गया, असर ये हुआ कि 1996 में ममता लोकसभा चुनाव जीतीं. वर्ष 2007 में ममता पर नंदीग्राम में हमला हुआ था. सहानुभूति कार्ड तब भी चला था, 2011 के बंगाल विधानसभा चुनाव में TMC ने जीत दर्ज की थी और अब ममता कह रही हैं टूटे पैर से खेला होबे. लेकिन पैर में लगी चोट पर अब तस्वीर साफ हो गई है.
डॉक्टरों ने ममता को दी एक हफ्ते तक आराम करने की सलाह
नंदीग्राम से ममता ने बुधवार को नामांकन भरा है. नामांकन के बाद लगी चोट में उनका एक पांव जख्मी हो गया, जिसके बाद इसे वोटों में बदलने का सिलसिला शुरू हो गया. डॉक्टरों ने कहा कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के आग्रह पर छुट्टी दी गई है. एक हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी थी, लेकिन एक दिन बाद ही वो प्रचार करने निकल गईं. वो नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही है. उन्होंने ये भी कहा कि नंदीग्राम में ‘शहीदों’ के परिवारों के साथ काम करना उनके लिए सम्मान की बात है. अस्पताल से छुट्टी लेकर चुनाव प्रचार करना भी ममता की व्हील चेयर पॉलिटिक्स का हिस्सा है.