कृषि बिल तो बहाना है, कांग्रेस का असल मकसद किसानों को भटकाना है! पढ़ें 8 ठोस सबूत
राजनीति के लिए किसानों का इस्तेमाल करना आजकल ट्रेंड बन चुका है. कांग्रेस पार्टी की दोहरीनीति किसी से छिपी नहीं है, किसानों को मुद्दे से भटकाना कांग्रेस की नीयत बन चुकी है. आपको 8 ठोस सबूत देखने चाहिए..
नई दिल्ली: राज्यसभा में आज किसानों से जुड़ा कृषि बिल पास ध्वनि मत से पास हो गया है. बीजेपी को 130 सांसदों के साथ होने का भरोसा है. बीजेपी को कई क्षेत्रीय पार्टियों से समर्थन की उम्मीद है. बिल पर बीजेपी ने कई क्षेत्रीय पार्टियों से बातचीत की. विपक्षी दल बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग करेंगे. देशभर में बिल को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. तो वहीं प्रधानमंत्री ने बिल को किसानों के लिए हितकारी बताया. लेकिन आपको आज हर उन मुद्दों से रूबरू करवाएंगे जिसे कांग्रेस पार्टी ने बेवजह सियासत चमकाने का जरिया बना लिया. सबसे पहले आपको इस बिल के फायदे के बारे में बताते हैं.
कृषि बिल के फायदे
फायदा नंबर 1- बिचौलिए खत्म: सबसे बड़ा फायदा कि जो किसानों को झूठी बातों में उलाझकर बिचौलिए कमाई का जरिया बना लेते हैं, उनका धंधा खत्म हो जाएगा.
फायदा नंबर 2- फसल की ज्यादा कीमत: निश्चित तौर पर ये पहलू किसानों के हितों से भरा होगा कि फसल की कीमत ज्यादा होगी. साथ ही आवश्यक वस्तु विधेयक के तहत प्याज, आलू, फल सस्ते होंगे.
फायदा नंबर 3- देशभर में फसल बिक्री: APMC एक्ट के तहत इस बिल के पास होने के बाद ये प्रावधान लागू हो जाएगा कि देशभर में फसल की बिक्री होगी, जो किसानों के लिए हितकारी होगा.
फायदा नंबर 4- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बढ़ेगा: ठेके पर खेती से काफी हद तक किसानों की कमाई का जरिया बढ़ेगा. मतलब ठेके पर खेती बिल - कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को बढ़ावा देगा.
कहां-कहां किसान बिल के खिलाफ प्रदर्शन?
रोहतक
भटिंडा
सिरसा
मोगा
हिसार
अमृतसर
गुरदासपुर
मोहाली
कांग्रेस की कब-कब 'भटकाने वाली राजनीति'?
कृषि बिल- कृषि बिल पर कांग्रेस पार्टी समेत कई विपक्षी पार्टियां देशभर के किसानों में झूठ फैलाने में जुटे हुए हैं. किसानों के लिए हितकारी भरे बिल का वो विरोध कर रहे हैं, जिनकी ठेकेदारी बंद होने वाली है. बिचौलियों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती दिख रही है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर राजनीति चमकाने में जुटी हुई है.
भारत चीन विवाद- कांग्रेस पार्टी ने देशभर में भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर काफी झूठ फैलाने की कोशिश की. चीन की घुसपैठ से जुड़ी कई अफवाहों को हवा देने की कोशिश की. भारत के शूरवीरों की शहादत पर भी कांग्रेस ने राजनीतिकरण करते हुए इस बात पर सवाल उठाया कि हमारे देश के जवानों ने चीन के सैनिकों को मौत के घाट उतारा होगा.
लॉकडाउन- कोरोना के खिलाफ विश्वयुद्ध में भारत को इस खतरनाक वायरस से बचाने के लिए जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन का ऐलान किया तो कांग्रेस पार्टी ने उसका भी खुलकर विरोध किया.
CAA- नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की आड़ में देश को जलाने की साजिश करने वालों के पास कांग्रेस पार्टी का खुला समर्थन हासिल था. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर भी सिर्फ और सिर्फ सियासत चमकाई, शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को कांग्रेस का सपोर्ट हासिल था, जिनके चलते देश को गुमराह किया गया, राजधानी दिल्ली से लेकर यूपी तक हिंसा की आग फैलाई गई.
राफेल- जिस राफेल के दम पर भारत की वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है, उस राफेल डील पर भी कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े किया, जबकि खुद राफेल नेगोसिएशन कमेटी के अध्यक्ष ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल गांधी और कांग्रेस की राजनीति के राफेल अध्याय को हमेशा के लिए बंद कर दिया.
राम मंदिर- राम मंदिर निर्माण पर कांग्रेस पार्टी ने देश को खूब गुमराह किया. कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने मंदिर निर्माण का खुलकर विरोध किया, जिससे उसका असल चेहरा बेनकाब हो गया.
अनुच्छेद 370- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा करके मोदी सरकार ने सिर्फ आतंकवादियों और पाकिस्तान को ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी को भी हाई वोल्टेज झटका दिया. कांग्रेस पार्टी ने अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद भी सरकार का खूब विरोध किया था.
एयर स्ट्राइक- पुलवामा अटैक के बाद भारत की सेना ने दुश्मन देश पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने सेना की इस कार्रवाई पर भी सवाल खड़े कर दिए. ये पहला मामला नहीं था, जब सेना के शौर्य पर कांग्रेस ने सवाल उठाया था.
सर्जिकल स्ट्राइक- सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए उरी हमले का बदला लिया गया, लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेता देश की सेना से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत पेश कर दिए.
अब आपको बताते हैं कैसे पीएम मोदी ने विपक्ष के हर चाल का जवाब दिया और किसान विरोधी विपक्ष के चरित्र को उजागार किया. उन्होंने बताया कि "विरोध के लिए विरोध किया जा रहा है. एक के बाद एक उदाहरण सामने आ रहे हैं, देश का किसान जागृत है. देश का किसान सबकुछ देख रहा है. कुछ लोगों को किसान का विकास पसंद नहीं, किसान देख रहा है कि कौन बिचौलियों के साथ है."
पहला सवाल- किसानों का बिल राज्यसभा में कैसे होगा पास?
दूसरा सवाल- 'अन्नदाता की भलाई' के खिलाफ क्यों लड़ाई?
तीसरा सवाल- किसान के नाम पर 'राजनीति की रोटी' कौन सेक रहा है
चौथा सवाल- क्या विरोध प्रदर्शन बहाना, राजनीति है चमकाना?
पांचवां सवाल- देश में किसान पर भारी 'खानदान की राजनीति'?
इसे भी पढ़ें: Agricultural Bills पर राज्यसभा में चर्चा, सरकार और विपक्ष में संग्राम
इसे भी पढ़ें: Kamalnath के शहर में कांग्रेस नेता ने SDM के मुंह पर पोती कालिख, रासुका के तहत जेल