मुंबई: महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की हत्या को 218 दिन बीत गये हैं. लेकिन महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार से इस मामले में अब तक इंसाफ नहीं मिल सका है. और साधुओं के इंसाफ के लिए अगर जन आक्रोश हो तो शिवसेना सरकार पुलिस को ये नागवार गुजरता है.


शिवसैनिकों का दोहरा चरित्र


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महाराष्ट्र में मंदिर खोलने की बात हो या घाटों पर छठ महापर्व मनाने पर रोक.. शिवसैनिकों को कभी गुस्सा नहीं आता, लेकिन अपने राष्ट्रवाद का दिखावा करने में ये कतई पीछे नहीं रहते. मुंबई से शिवसैनिकों के इसी तथाकथित राष्ट्रवाद की तस्वीरें आई हैं. मुंबई के एक दुकान के नाम पर अब शिवसैनिकों को ऐतराज है. मिठाई की इस दुकान का नाम कराची है, जिसे शिवसैनिक मिटाना चाहते हैं और दुकान पर पहुंचे उद्धव के सैनिकों ने चेतावनी दे ड़ाली कि पाकिस्तान की पहचान से जुड़ी किसी दुकान की मुंबई में कोई जगह नहीं होगी.


शिवसैनिक ने कहा कि कराची मतलब आप पाकिस्तान के हो?
इसके जवाब में दुकानदार ने कहा कि हां मेरे दादा लोग वहां के थे


शिवसैनिक ने कहा कि दादा लोग वहां के थे, जब हमारे देश का बंटवारा हो गया. आप यहां आ गए, आपका स्वागत है. लेकिन कराची नाम नहीं.


शिवसैनिक ने कहा कि कराची नाम से हमें काफी तकलीफ है. भाईदूज के दिन हमारे जवान शहीद हुए हैं. मुझे कराची नाम से नफ़रत है क्योंकि आतंकवादी हमले देश में कराची पाकिस्तान से होते हैं.


शिवसैनिक ने ये भी कहा कि कराची नाम नहीं चाहिए आप वहां से आए या नहींआप कराची का नाम क्यों रखेंगे, आप अपने दादा परदादा का नाम रखिए.


दरअसल, किसी वक्त हिंदुत्व की सबसे बड़ी झंडाबरदार रही शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद से ही निशाने पर है. खुद को सेक्युलर बनाने की होड़ में बहुसंख्यक हिंदू हितों की अनदेखी सरकार बनाए रखने के लिए उसकी मज़बूरी बन गई है. ऐसे में उसे बार बार खुद के राष्ट्रवादी होने का सबूत भी देना पड़ रहा है.


कराची स्वीट मुंबई या महाराष्ट्र की इकलौती दुकान नहीं है, जिसकी पहचान पाकिस्तानी हो. बल्कि ढेरों ऐसी दुकानें मिल जाएंगी. शिवसेना ने अब इसके विरोध की शुरुआत कर दी है. ज़ाहिर है राष्ट्रवाद से भटकी शिवसेना को कुछ वक्त तो राष्ट्र की याद आएगी, झूठा ही सही.. शिवसेना के इस दोहरे चरित्र को लेकर कुछ सवाल तो उठते हैं. क्या इतने सालों से शिवसैनिकों को ये कराची स्वीट दुकान नज़र नहीं आई? तो क्या दिखावे के लिए और पालघर और मंदिर खोलने के मुद्दे पर विफल हुए उद्धव सरकार का डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है?


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