नई दिल्ली: हिंदुस्तान के संसदीय इतिहास में कांग्रेस के अलावा 2014 तक किसी भी राजनीतिक दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था लेकिन जब BJP ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नया इतिहास रचा गया और 2019 में इसकी पुनरावृत्ति भी हुई.


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भारत के इतिहास में जो कार्य अब तक नहीं हुए थे वो सब पीएम मोदी (PM Modi)के कार्यकाल में हुए हैं. अब लोग उम्मीद कर रहे हैं कि दक्षिण भारत को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) जैसा मजबूत और सशक्त नेतृत्व मिलेगा जो वहां विकास के नए आयाम स्थापित कर सके.


दक्षिण भारत में विजय हासिल करना BJP का सबसे बड़ा लक्ष्य


उल्लेखनीय है कि दक्षिण भारत के राज्यों में भाजपा अब तक बहुत कमजोर रही है. राजनीतिक रूप से भाजपा का स्वर्ण काल 2014 के बाद शुरू हुआ लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को तमिलनाडु जैसे बड़े राज्य में एक भी सीट नहीं मिली थी. यही हाल भाजपा का केरल, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के रहा था. इसीलिए भाजपा की अब दक्षिणाचंल की ओर दृष्टि लगी हुई है.


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BJP ने दक्षिण विजय पर लगाई पूरी ऊर्जा


आपको बता दें कि 2021 में पश्चिम बंगाल के अलावा 5 अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें दक्षिण भारत के दो महत्वपूर्ण राज्य हैं- केरल और तमिलनाडु. पश्चिम बंगाल में तो भारतीय जनता पार्टी की स्थिति संतोषजनक है लेकिन केरल और तमिलनाडु में पार्टी बहुत कमजोर है. इसीलिए हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु का दौरा करके अपने कार्यकर्ताओं में जोश और ऊर्जा का नव संचार किया था.


PM मोदी के करिश्माई नेतृत्व से BJP को आशा


उल्लेखनीय है कि दक्षिणाचंल में भाजपा के लिए संभावनाएं भी कम नहीं है. JP Nadda और Amit Shah के आक्रामक तेवर और नये जोश के साथ भाजपा अब दक्षिणाचंल में सक्रिय ही नहीं हो रही है बल्कि मोशन मोड में काम भी कर रही है. अब भाजपा के पास दो-दो राजनीतिक ब्रह्मास्त्र हैं जिसके सहारे वह दक्षिणी राज्यों में अपने विरोधियों को परास्त करेगी और मतदाताओं को आकर्षिक कर अपना विस्तार करेगी. ये दो ब्रम्हास्र हैं-  हिन्दुत्व और मोदी मैजिक.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व और अमित शाह के कुशल रणनीतिक प्रबंधन के बल पर BJP को तमिलनाडु फतह करने के साथ साथ केरल से वामपंथी शासन को भी उखाड़ फेंकना है. वामपंथी केवल अब केरल में ही बचे हैं और उन्हें वहां से भी बाहर करके भाजपा पूरे देश में राष्ट्रवाद की ज्वाला और प्रबल करना चाहती है.


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