भोपालः अब मध्य प्रदेश में भी बाहरी-भीतरी की बहस शुरू होने को है. इसके पीछे की वजह है सीएम शिवराज सिंह चौहना का वह फैसला, जो इस बहस को हवा दे सकता है. सीएम शिवराज ने मंगलवार को कहा कि मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी अब सिर्फ मध्यप्रदेश के बच्चों को दी जाएगी. सीएम शिवराज को एमपी में मामा भी कहते हैं. इस लिहाज से उन्होंने भांजे-भांजियों का संबोधन करते हुए यह घोषणा की है. 


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प्रदेश के संसाधन प्रदेश के बच्चों के लिएः सीएम
जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश सरकार की सभी नौकरियां अब एमपी डोमिसाइल रखने वालों के लिए आरक्षित होंगी. यह घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक कानूनी बदलाव जल्द ही पेश किए जाएंगे.



मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के संसाधन प्रदेश के बच्चों के लिए हो, इसके लिए सरकार जरूरी कानून प्रावधान करने जा रही है. 



लाएंगे कानूनी प्रावधान
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'मेरे प्रिय प्रदेशवासियों, अपने भांजे-भांजियों के हित को ध्यान में रखते हुए हमने निर्णय लिया है कि मध्यप्रदेश में शासकीय नौकरियाँ अब सिर्फ मध्यप्रदेश के बच्चों को ही दी जाएंगी. इसके लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान किया जा रहा है. प्रदेश के संसाधनों पर प्रदेश के बच्चों का अधिकार है.'


सूबे के गृहमंत्री ने बताया ऐतिहासिक फैसला
सीएम के इस फैसले को राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है. 27 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जोर लगा रहे हैं.



इस बीच सूबे के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बड़े एलान को ऐतिहासिक फैसला बताया है. 


 


बाहरी-भीतरी की बहस छिड़ी
वहीं इस तरह का फैसला लेने के बाद एक और प्रदेश में बाहरी और भीतरी की बहस छिड़ गई है. इसके पहले महाराष्ट्र में यह बहस आक्रामक तौर पर सामने आ चुकी है. वहीं पिछले दिनों दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने जब दिल्ली में सिर्फ दिल्लीवालों के इलाज की बात कही तो भी यह बाहरी वाला मसला खूब उछला था. 


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