नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ऐसा लगता है कि कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी(Sonia gandhi) अपनी बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के कारण पार्टी के कार्यों पर ध्यान नहीं दे रही हैं. जिसकी वजह से कांग्रेस एक बड़ी मुसीबत में फंसने जा रही है. 


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कांग्रेस ने 6 सालों से जमा नहीं की ऑडिट रिपोर्ट


 चुनाव आयोग (Election Commission) में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ एक याचिका दाखिल की गई है. जिसमें कांग्रेस पार्टी को चुनावी राजनीति से अलग करने की मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि कांग्रेस ने पिछले छह सालों से अपनी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में जमा नहीं की है, इसलिए कांग्रेस पार्टी को आयकर में मिलने वाली छूट वापस ली जाए. साथ ही उसके चुनाव चिन्ह पर भी रोक लगा दी जाए.


दो वकीलों ने दायर की याचिका
 चुनाव आयोग के सामने कांग्रेस के खिलाफ ये याचिका  वकील हरि शंकर जैन और वकील विष्णु शंकर जैन ने दाखिल की है. दरअसल जन प्रतिनिधि कानून की धारा 29C में प्रावधानों के मुताबिक हर एक राजनीतिक पार्टी को अपने लेखाजोखा की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग के पास दाखिल करनी जरूरी होती है. लेकिन कांग्रेस ने कई सालों से ऐसा नहीं किया. इसलिए दोनों वकीलों ने चुनाव आयोग के सामने याचिका पेश करके यह तथ्य रखा है कि कांग्रेस पार्टी ने 2014 से अपनी केंद्रीय यूनिट और उत्तर प्रदेश यूनिट के अलावा किसी भी राज्य की यूनिट की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में जमा नहीं की है.


कुछ ऐसे हैं नियम
आयकर अधिनियम 13ए में प्रावधान है कि यदि किसी भी राजनैतिक दल को आयकर में छूट लेनी है तो उस दल को अपनी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में जमा करनी होगी और जो भी पैसा उस दल को जिस किसी भी स्रोत से मिला है वह लेखाजोखा चुनाव आयोग में देना पड़ता है. राजनीतिक दलों पर दो हजार रुपये से ज्यादा की दान राशि नगद में लेने पर रोक है.


कांग्रेस को चुनाव से दूर रखने की मांग
चुनाव आयोग के सामने पेश की गई याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी जब तक सभी राज्यों की अपनी यूनिटों की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में जमा नहीं करती, तब तक उसे चुनावी राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए. क्योंकि कांग्रेस पार्टी के उपर आयकर विभाग की सभी देनदारियां निर्धारित नहीं हो पाई हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि किस राजनैतिक दल का क्या लेखाजोखा है, किस राजनैतिक दल को किससे कितना दान प्राप्त हुआ है. ये जानकारी हासिल करना हर नागरिक का अधिकार है. 


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