आखिरकार एकनाथ खडसे ने BJP छोड़ ही दी, उद्धव सरकार में मंत्री बनने का सपना
महाराष्ट्र में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. एकनाथ खडसे ने BJP छोड़ दी और वो अब एनसीपी में शामिल होंगे. महाराष्ट्र में बीजेपी का ओबीसी चेहरा माने जाते हैं एकनाथ खडसे..
मुंबई: महाराष्ट्र में OBC के बड़े नेता कहे जाने वाले नेता एकनाथ खडसे ने भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ दिया है. जानकारी है कि अब वो शरद पवार की पार्टी NCP से जुड़ने जा रहे हैं. माना तो ये भी जा रहा खडसे उद्धव सरकार में मंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. एकनाथ खडसे को भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद साल 2016 में राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
उद्धव ठाकरे ने किया स्वागत
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खडसे के बीजेपी छोडकर एनसीपी में आने की ख़बरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो महाविकास आघाडी में शामिल होते हैं, तो उनका स्वागत है. इसका मतलब ये है कि खडसे के एनसीपी में जाने पर उन्हें सरकार में मंत्री पद दिया जा सकता है.
खडसे को कृषि मंत्री बनाया जा सकता है जो फिलहाल शिवसेना के पास है. एकनाथ खडसे के एनसीपी में जाने से बीजेपी को धक्का लग सकता है. खडसे प्रदेश में ओबीसी का बड़ा चेहरा माने जाते हैं.
जब राजस्व मंत्री का पद छोड़ना पड़ा
खडसे के साथ उनके कुछ समर्थक विधायक भी पार्टी छोड़कर एनसीपी में जा सकते हैं. खडसे को साल 2016 में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद फडणवीस सरकार से मंत्री पद छोड़ना पड़ा था, तभी से वो पार्टी में उपेक्षित चल रहे थे.
विधानसभा चुनाव में नहीं मिला था टिकट
साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया था. हालांकि उनकी बेटी रोहिणी को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया था लेकिन वो हार गई थी. वहीं खडसे की बहू रक्षा खडसे ने बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीती थी. रक्षा खडसे बीजेपी छोड़ेगी या नहीं ये अभी साफ नहीं है.
एकनाथ खडसे के सुर लंबे समय से अपनी पार्टी के खिलाफ तेज हो रहे थे. ऐसे में कापी हद तक इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि वो जल्द ही भाजपा को अलविदा कह सकते हैं. खडसे ने एक बार या दो बार नहीं बल्कि कई दफा ये इशारा पहले ही कर दिया था कि अगर उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिला तो उनकी राजनीति एक पार्टी तक सीमित नहीं है.
वो 1991 से 2019 तक मुक्ताई नगर विधानसभा सीट से विधायक रहे, लेकिन इस बार के चुनाव में उनकी बेटी रोहिणी को भाजपा ने उनके ही खिलाफ खड़ा कर दिया, तो बतौर निर्दलीय प्रत्याशी खडसे ने अपना नामांकन वापस ले लिया था. नतीजा ये हुआ कि एकनाथ खडसे की सीट तो गई ही, उनकी बेटी के भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
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