श्रीनगर: मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था और 370 हमेशा के लिए खत्म कर दिया था. जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाये गए थे. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती इस फैसले से बहुत नाराज हैं क्योंकि उनकी राजनीति इस महान निर्णय के बाद लगभग खत्म हो गयी. भारत विरोधी मानसिकता के लोग कभी भी नहीं चाहते थे कि जम्मू कश्मीर से 370 को हटाया जाए.


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उमर अब्दुल्ला ने किया ये बड़ा राजनीतिक प्रण


जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने संकल्प लिया है कि जब तक जम्मू कश्मीर दोबारा पूर्ण राज्य नहीं बन जाता है तब तक वे जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे.


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परिसीमन के बाद होंगे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में चुनाव


आपको बता दें कि कई दशकों बाद बदले हालातों में अब परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही इस केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव हो पाएंगे. गौरतलब है कि पिछले साल जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया गया था.  उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार के इस फैसले का बहुत विरोध किया था और लोगों को भड़काने का काम किया था.


जानिये क्या कहा उमर अब्दुल्ला ने


पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं राज्य की विधानसभा का नेता रहा हूं, कभी ये सबसे मजबूत विधानसभा थी जो अब यह देश की सबसे शक्तिहीन विधानसभा बन चुकी है इसलिए मैं इसका सदस्य नहीं बनूंगा. उन्होंने कहा कि यह कोई धमकी या ब्लैकमेल नहीं है, यह किसी निराशा का इजहार भी नहीं है. यह वो सामान्य स्वीकारोक्ति है कि जिसमें वो किसी कमजोर विधानसभा, या केंद्रशासित प्रदेश की विधानसभा का हिस्सा बनना नहीं चाहते.