लखनऊः विवाद और स्वाति सिहं (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार) दोनों का साथ शुरुआती दिनों से ही रहा है. इस तरह एक बार फिर भाजपा नेता स्वाति सिंह विवादों में उलझ गई हैं. इस बार विवाद की जड़ है तहसील समाधान दिवस,


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जहां स्वाति सिंह पर आरोप है कि उन्होंने नायब तहसीलदार पर अमर्यादित टिप्पणी की है. आरोप है कि तहसीलदार को गुंडा कहा गया है. एक दिन पहले हुई इस घटना को लेकर गुरुवार में राज्यमंत्री के खिलाफ विरोध किया जा रहा है. 


लेखपाल, वकील, राजस्व कर्मी सब नाराज
जानकारी के मुताबिक,  राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वाति सिंह ने नायब तहसीलदार मनीष त्रिपाठी को फटकारते हुए कहा था कि....तुम नायब तहसीलदार हो या गुंडा. इसके विरोध में और नायब तहसीलदार के समर्थन में वकील और राजस्व कर्मी आ गए हैं.



लेखपालों ने सरोजनीनगर तहसील में सांकेतिक कार्य बहिकष्कार किया. अधिवक्ताओं ने भी मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की और मार्च निकाला.  लेखपालों ने कहा कि जन प्रतिनिधियों से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा कतई नहीं की जा सकती है. दूसरी तरफ सरोजनीनगर तहसील बार एसोसिएशन ने भी इस मामले में नाराजगी जताई है. 


यह हुआ था मामला
जानकारी के मुताबिक, मंत्री जब तहसील के हाल में चल रहे संपूर्ण समाधान दिवस कार्यक्रम में पहुंचीं तो कुछ देर बाद वहां नायब तहसीलदार मनीष त्रिपाठी भी पहुंच गए. नायब तहसीलदार अपना लाइसेंसी पिस्टल कमर में खुला ही लगाए हुए थे, जिसे देखते ही मंत्री भड़क गईं.



उन्होंने संपूर्ण समाधान दिवस कार्यक्रम जारी होने के दौरान नायब तहसीलदार को बाहर टहलने पर आपत्ति जताते हुए जमकर फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि ये नायब तहसीलदार हैं या गुंडा हैं. उन्होंने नायब तहसीलदार को सुधरने की हिदायत देते हुए कहा कि वह नहीं सुधरें तो जल्द ही मुख्यमंत्री से कहकर पिस्टल का लाइसेंस निरस्त करा दिया जाएगा. 


स्वाति सिंह ने रखा अपना पक्ष
इस संबंध में राज्य मंत्री स्वाति सिंह ने बुधवार को अपना पक्ष रखा था. उन्होंने कहा कि सरोजनीनगर में अवैध खनन की शिकायतें आ रही हैं. मंगलवार को तहसील दिवस में जनसुनवाई के दौरान वह ग्रामीणों से वार्ता कर रही थीं. वहां नायब तहसीलदार उपस्थित नहीं थे.



उन्होंने कहा कि खनन में नायब तहसीलदार मनीष त्रिपाठी की संलिप्तता की शिकायत मिल रही थी. कई ग्रामीणों ने कहा कि उक्त नायब तहसीलदार लाइसेंसी रिवाल्वर का प्रदर्शन कर शिकायतकर्ताओं के बीच भय का माहौल बनाते हैं.  मंत्री ने कहा कि इस मामले में वह कमिश्नर से बात कर चुकी हैं. 


पहले भी विवादित रह चुकी हैं स्वाति सिंह
स्वाति सिंह की राजनीति में एंट्री ही विवाद के कारण हुई. जब यूपी में चुनाव से पहले उनकी और दयाशंकर सिंह की पुत्री के लिए बसपा की ओर से अभद्र टिप्पणी की गई. भाजपा ने इसे स्त्री अस्मिता का मुद्दा बनाया और चुनाव जीतने के बाद स्वाति सिंह मंत्री बनीं.



इसके बाद वह अंसल ग्रुप की FIR लिखने पर सीओ को धमकाने के विवाद में फंस चुकी हैं. स्त्री अस्मिता की बात करने वाली स्वाति बार के उद्घाटन से निशाने पर आ चुकी हैं. एक भंडारे में नोट बांटने को लेकर फंस चुकी हैं. कुल मिलाकर समय-समय पर एक विवाद उनके साथ हो ही जाता है.  


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