कोलकाता:  पूरे देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. सभी लोग कह रहे हैं कि ममता बनर्जी इस संकट की घड़ी में भी सियासत कर रही हैं. उन्होंने कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए लॉक डाउन का पालन कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. इस विषय मे जब कोई उनकी आलोचना करता है तो वे बौखला जाती हैं और बेतुकी बाते करने लगती हैं.


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राज्यपाल से लड़ रही हैं ममता बनर्जी


कुछ दिन पहले बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार कोरोना से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन का पालन करवाने में नाकाम रही है. वे वोट बैंक के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण करती हैं और इससे लोगों की जिंदगी को खतरे में डालती हैं.  ये आरोप सुनकर ममता बनर्जी बौखलाहट में आ गई और राज्यपाल के पद की गरिमा का ख्याल किये बिना उनपर बेतुकी सियासी टिप्पणी करने लगीं.


चिट्टी लिखकर करती हैं सियासत



 


राज्यपाल ने पिछले हफ्ते ममता बनर्जी को 14 पन्नों का पत्र लिखकर 37 मुद्दों को लेकर निशाना साधा था. वहीं, ममता बनर्जी ने 14 पेज का पत्र लिखकर जवाब दिया है. सीएम ने राज्यपाल पर न केवल कोरोना के दौरान सत्ता हड़पने का आरोप लगाया है, बल्कि खुली चुनौती देते हुए कहा है कि वो सरकार का कुछ नहीं बिगाड़ सकते. ऐसी भाषा में बात करने के लिए ममता बनर्जी की सभी लोग आलोचना कर रहे हैं.


सरकार का कुछ नही कर सकते राज्यपाल


बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बेहद अभद्र भाषा में कहा कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ हमारी सरकार का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. ममता बनर्जी ने एक पत्र में लिखा कि राज्यपाल उनकी नीतियों से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इसे उनके संज्ञान में लाने के अलावा उनके पास और कोई पावर नहीं है. कोरोना संकट की घड़ी में सत्ता हड़पने की कोशिश न करिए, आप सरकार का कुछ नहीं कर सकते हैं.


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संविधान नहीं मानती हैं ममता बनर्जी


उल्लेखनीय है कि बीते दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए राज्यपाल ने कहा था कि वे भारत के संविधान का अनादर कर रही हैं और उनका पूरा आचरण राजनीति से प्रेरित है. राज्यपाल ने कहा था कि ममता बनर्जी विक्टिम कार्ड खेलती हैं लेकिन वो विक्टिम नहीं हैं. राज्यपाल ने कहा था कि कोरोना पर केंद्र सरकार ने कानून के तहत कमेटी बनाई है, इस पर सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश है आखिर ममता बनर्जी इसका विरोध क्यों कर रही हैं.