क्या बंगाल में मजहबी कट्टरपंथियों के वोट से जीत जाएंगी ममता बनर्जी?
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार पर हमेशा विपक्ष वोट बैंक के लिए मजहबी कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहता है. ममता सरकार के क्रिया कलापों के कारण समय समय पर ये आरोप सत्य भी साबित हो जाते हैं.
कोलकाता: बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ममता बनर्जी सभी मुद्दों को धार्मिक रंग देकर अपनी वोट बैंक की सियासत को तेज करने में जुट जाती हैं, चाहें CAA हो NRC हो या बांग्लादेशियों की घुसपैठ का मामला हो. ममता बनर्जी पर विपक्ष के आरोपों में दम इसलिये नजर आता है क्योंकि ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव में बांग्लादेशी अभिनेता को अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार में उतार चुकी हैं. मीडिया को मिल रही जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में दो समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष होने की खबर है.
हुगली और मालदह में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के तेलिनीपारा में कुछ दिन पहले सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद वहां धारा 144 लगाई गई और इंटरनेट बंद कर दिया गया. जलते हुए घरों और कुछ घायल लोगों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि बंगाल के तेलिनीपारा में हुए दंगे में दलित हिंदुओं को पीटा गया और उनके घरों को जलाया जा रहा है.
बंगाल सरकार दंगे को दबाने की कोशिश में
आपको बता दें कि मीडिया और विपक्षी भाजपा की आलोचना से बचने के लिए ममता सरकार हुगली के दंगों को दबाने की साजिश रच रही है. हालांकि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की साजिश को बेनकाब करते हुए साम्प्रदायिक दंगों की बात उजागर कर दी. उन्होंने प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिये.
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वोट बैंक के लिये मजहबी कट्टरपंथियों को बढ़ावा
कहा जाता है कि सियासत में नेता किसी भी हद तक जा सकते हैं. बंगाल के हुगली और मालदह जिले में भड़काए गए दंगों में इन्हीं कट्टरपंथी लोगों का हाथ होने की आशंका है. हैरत की बात ये है कि बंगाल में ये लोग कानून, पुलिस और प्रशासन को कुछ भी नहीं समझते हैं. ये भावना दंगाइयों में तभी आती है जब उन्हें ऊपर से किसी का संरक्षण प्राप्त होता है.
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बहुसंख्यकों से भेदभाव क्यों
सवाल उठता है कि आखिर ममता बनर्जी बहुसंख्यक समुदाय से इतना भेदभाव और पक्षपात क्यों करती हैं. जब पूरे देश में तबलीगी जमाती कोरोना वायरस को फैला रहे थे तब ज्यादातर राज्य सरकारें उन पर कठोर कार्रवाई कर रही थीं लेकिन बंगाल सरकार ने जाहिल जमातियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. ममता बनर्जी कई बार कह चुकी हैं कि CAA और NRC से मुसलमानो को तंग किया जा रहा है लेकिन दिल्ली दंगों के दंगाइयों और तब्लीगी जमात के लोगों की जेहादियों पर ममता बनर्जी कुछ नहीं बोलती हैं. इससे स्पष्ट है कि उनके राज में बहुसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है.
बंगाल के हालात चिंताजनक
गौरतलब है कि जब से कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा है तब से बंगाल में कट्टरपंथियों को खुश रखने के लिए सामाजिक दूरी और लॉकडाउन का पालन नहीं करवाया जा रहा जिससे वहां संक्रमण से हालात बदतर हो गए हैं. केंद्रीय टीम को निशाना बनाकर ममता सरकार मजहबी कट्टरपंथियों को खुश करने में जुटी है. तबलीगी जमात के लोगों को संरक्षण देने में बंगाल के मजहबी कट्टरपंथी सहयोग कर रहे हैं और जमातियों के 'कोरोना जेहाद' को बढ़ावा दे रहे हैं.
जेहादियों को संरक्षण देकर चुनाव जीतने की कोशिश
पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. बंगाल में मजहबी वोट बंटरोने के लिए तिकड़मबाजी का सिलसिला तेज होता जा रहा है. ऐसे वोटर पर्याप्त संख्या में हैं, जो लेफ्ट और कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बंगाल की राजनीति में बहुत बदलाव हुआ है. अब लेफ्ट और कांग्रेस वहां अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद करते हैं. भाजपा मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभर चुकी है और विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को भाजपा से कड़ी चुनौती मिलेगी. इसी डर से ममता बनर्जी की सरकार ऐसी लापरवाही बरतकर मजहबी कट्टरपंथियों को मनमानी करने की स्वतंत्रता दे रही हैं जो धार्मिक उन्माद फैलाकर जेहादियों को आश्रय देते हैं.
ममता बनर्जी को इन्हीं कट्टरपंथियों से भरोसा है और उनका रवैया बहुसंख्यक समुदाय को निराश करता है. ये बात राज्यपाल भी कह चुके हैं कि कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए कानून व्यवस्था को बर्बाद किया जा रहा है जो बंगाल के लिये बहुत खतरनाक है.